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अपने ननिहाल में विराजमान हुए गणपति बप्पा, इस मंदिर को लेकर ये है मान्यता

गणेशोत्सव के अवसर पर गणपति बप्पा के ननिहाल कनखल में मंगलमूर्ति को स्थापित किया गया. इस मौके पर गणपित के दर्शन के लिए पंडाल में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. आने वाले कुछ दिन तक मंदिर गणेश लीलाओं से ओत-प्रोत रहेगा. कुछ दिन बाद गणेश जी को गंगा में विसर्जन कर दिया जायेगा. मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ अपने ससुर दक्ष प्रजापति को दिये गये वचन के अनुसार पूरे सावन माह में यहां स्वयं विराजमान रह कर भक्तों के कष्ट हरते हैं.

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Published : Sep 2, 2019, 10:04 PM IST

अपने ननिहाल कनखल में विराजमान हुए गणपति बप्पा

हरिद्वार: प्रदेश में गणेश चतुर्थी की धूम हर जगह देखने को मिल रही है. ऐसे में धर्मनगरी हरिद्वार जो गणपति बप्पा का ननिहाल है. वहां भी गणेशोत्सव पर मंगलमूर्ति को स्थापित किया गया. इस मौके पर गणपित के दर्शन के लिए पंडाल में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. आगामी 10 दिनों तक यह गणपति की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी. मान्यता है कि रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देते हैं.

अपने ननिहाल कनखल में विराजमान हुए गणपति बप्पा.

बता दें कि श्रावण मास समाप्त होते ही गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. यूं तो आने वाले कई दिनों तक हर जगह में गणेश उत्सव को लेकर धूम रहने वाली है, लेकिन भगवान गणेश की ननि​हाल कनखल में इस उत्सव का एक अलग ही आनंद होता है. कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में अगले कुछ दिनों तक गणेश जी विराजमान रहेगें.
सोमवार को पूरे धार्मिक विधि-विधान के साथ यहां पर गणेश की स्थापना की गयी. महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि पूरे धार्मिक विधि विधान से गणपति बप्पा को मंदिर प्रांगण में स्थापित किया गया है. आने वाले कुछ दिन तक मंदिर गणेश लीलाओं से ओत-प्रोत रहेगा. कुछ दिन बाद गणेश जी को गंगा में विसर्जन कर दिया जायेगा.

वहीं, महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि भाद्र पक्ष की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान् गणेश का जन्म हुआ था और कनखल उनका ननिहाल है. चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक भगवान गणेश यहां पर साक्षात विराजमान रहते हैं. जो भी गणेश भगवान से सच्चे मन से मुराद मांगता है, उसकी सब मुरादें पूरी हो जाती है.

ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि गणेश चतुर्दशी है और इस दिन गणपति का जन्मदिन मनाया जाता है. मगर गणपति का जन्म दो बार हुआ है, प्रथम बार मां पार्वती ने अपने शरीर की मेल से गणपति को जन्म दिया और दूसरी बार जब भगवान शिव द्वारा गणपति का शीश काटा गया, तब भगवान शिव ने हाथी का शीश लगाकर उनको दूसरा जन्म दिया. उस दिन को संकट चौथ कहा जाता है और वह गणपति का प्रमुख जन्मदिन माना जाता है. कनखल दक्ष प्रजापति भगवान गणपति के ननिहाल है और यहां पर की गई गणपति की पूजा सबसे ज्यादा फलदायक होती है.

बहरहाल, धर्मनगरी में गणपति महोत्सव को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है. बड़े पंडालों के साथ गणपति को अब घरों में भी स्थापित किया जाने लगा है. लोग इस दिन का पूरे साल इंतजार कर रहे थे. वहीं अब 10 दिन तक पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा अर्चना कि जाएगी. जिसेक 10 दिन बाद गणपति जी को भव्य शोभायात्रा के साथ गंगा में विसर्जित किया जाएगा.

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दरअसल कनखल को भगवान ​शिव की ससुराल भी कहा जाता है. यही वजह है कि हरिद्वार की इस उपनगरी कनखल को गणेश जी का ननिहाल भी कहा जाता हैं. मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ अपने ससुर दक्ष प्रजापति को दिये गये वचन के अनुसार पूरे सावन माह में यहां स्वयं विराजमान रह कर भक्तों के कष्ट हरते हैं. जिसके चलते पूरे सावन की कांवड यात्रा के दौरान दक्षेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए लोग देश के अलग-अलग राज्यों से यहां पहुंचते हैं.

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