रुड़की: देशभर में ईद-उल-अजहा का पर्व इस बार बड़ी सादगी के साथ मनाया गया. ईदगाह और मस्जिदों में सिर्फ पांच-पांच लोगों ने ईद की नमाज को अदा किया. बाकी घरों में ईद की नमाज को अदा किया गया. एक- दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी गई. इसके बाद कुर्बानी का सिलसिला शुरू हुआ. दरअसल, सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक कुर्बानी के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. इस मौके पर छोटे-छोटे मासूम बच्चे नए पोशाक में नजर आए.
इस्लाम धर्म में ईद-उल-अजहा का खास महत्व है. इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, बकरीद का त्योहार अल्लाह को राजी करने का पर्व है. अल्लाह ने पैगंबर हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए उनसे उनकी सबसे प्यारी और अजीज चीज की कुर्बानी देने के लिए कहा था. हजरत इब्राहिम के लिए सबसे अजीज और प्यारे उनके बेटे हजरत इस्माइल ही थे, लेकिन हजरत इब्राहिम ने बेटे के लिए अपनी मुहब्बत के बजाए अल्लाह के हुक्म को मानने का फैसला किया. अपने बेटे को अल्लाह के लिए कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए.
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