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राजा विजय सिंह और सेनापति कल्याण सिंह का बलिदान दिवस, CM धामी ने दी श्रद्धांजलि - Roorkee Hindi News

आज राजा विजय सिंह और सेनापति कल्याण सिंह का बलिदान दिवस है. उनके बलिदान दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज भगवानपुर के कुंजा बहादुरपुर गांव पहुंचे हैं. इस मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

Chief Minister Pushkar Singh Dhami
Chief Minister Pushkar Singh Dhami

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Published : Oct 3, 2021, 12:50 PM IST

Updated : Oct 3, 2021, 2:59 PM IST

रुड़की:देश की आजादी की अलख जगाने वाले व अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वाले राजा विजय सिंह और सेनापति कल्याण सिंह के बलिदान दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भगवानपुर के कुंजा बहादुरपुर गांव पहुंचे. इस दौरान सीएम धामी ने शहीद स्मारक पर राजा विजय सिंह और सेनापति कल्याण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और शहीदो को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद सीएम ने जनसभा को संबोधित किया.

इस मौके पर सीएम धामी ने कहा कि कुंजा बहादुरपुर गांव के वीर योद्धाओं ने आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी थी. 1822 में आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई थी, आज उन वीर शहीदों को नमन करने वह गाँव कुंजा बहादुरपुर पहुंचे है, सीएम ने राजा विजय सिंह के नाम से मौजूद इंटर कॉलेज को भविष्य में कृषि महाविद्यालय बनाने की बात भी कही है.

राजा विजय सिंह और सेनापति कल्याण सिंह का बलिदान दिवस.

आजादी के आंदोलन की पहली क्रांति:आजादी के आंदोलन की सबसे पहली क्रांति 1822 में हरिद्वार जिले के रुड़की तहसील के गांव कुंजा बहादुरपुर में हुई थी. इतिहास में उत्तराखंड के रुड़की के कुंजा बहादुरपुर गांव का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. इतिहास की पुस्तकों में कुंजा बहादुरपुर गांव में 3, अक्तूबर 1822 को हुई क्रांति दर्ज है.

कुंजा बहादुरपुर के लोगों ने अंग्रेजों का मुकाबला करने के लिए करौंदी गांव के पास से अंग्रेज सेना के हथियार लूट लिए थे और अंग्रेजों को चुनौती दी थी. इस संघर्ष में अंग्रेजी फौज के कई सैनिक मारे गए थे. कुंजा गांव के लोगों की इस वीरता से परेशान होकर अंग्रेजों की 3, अक्तूबर 1822 को क्रांतिकारियों के गांव कुंजा बहादुरपुर को चारों ओर से घेर लिया.

अंग्रेज हुक्मरानों ने गांव में क्रांतिकारियों के खिलाफ मुनादी करवा दी कि जो भी गांव वाला हथियार डालकर अंग्रेजों के शरण में आ जाएगा, उसे माफ कर दिया जाएगा लेकिन गांव में जमा क्रांतिकारियों ने ऐसा करने से मना कर दिया. राजा विजय सिंह के नेतृत्व में सेनापति कल्याण सिंह और उपसेनापति भूरा ने फिरंगी फौज के खिलाफ युद्ध का मोर्चा संभाल लिया और अंग्रेजों को ललकार कर कहा कि हमें समझौता नहीं, आजादी चाहिए.

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इसके बाद गुस्साए फिरंगियों ने जमकर खून खराबा किया. अंग्रेज फौज से लड़ते हुए गांव के कई वीर योद्धा शहीद हो गए. अंग्रेजी सेना का मुकाबला करते हुए जो 44 वीर योद्धा बचे थे, उनको बांधकर अंग्रेज फौज ने रुड़की के सुनहरा स्थित एक बरगद के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था. तभी से 3 अक्तूबर को कुंजा गांव में बलिदान दिवस मनाया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक गांव के 152 लोग शहीद हुए थे. सीएम धामी के साथ कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, विधायक सुरेश राठौर, प्रदीप बत्रा, कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन और देशराज कर्णवाल मौजूद रहे.

Last Updated : Oct 3, 2021, 2:59 PM IST

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