देहरादूनःहिंदुओं के सबसे बड़े तीर्थ स्थल में शुमार हरिद्वार अपने आप में खास है. यहां देश और दुनिया से लाखों लोग गंगा में डुबकी लगाने पहुंचते हैं. माना जाता है कि गंगा में डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति मिलती है. आम लहजे में कहें तो यहां लोग अपने पापों को धोने के लिए आते हैं, लेकिन इसके इतर कई लोग अपना गुजर बसर करने के लिए भी पहुंचते हैं. यहां दान दक्षिणा किया जाता है तो भिक्षावृत्ति भी खूब फल और फूल रहा है. आलम ये है कि सैकड़ों की तादाद में बच्चे गंगा तटों पर भीख मांगते नजर आ जाते हैं, जो एकाएक आपके पैर छूएंगे या फिर हाथ जोड़ कर आपके सामने खड़े हो जाएंगे.
असल में इन बच्चों को भीख चाहिए होता है. इनमें कई बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें न तो अपने घर के बारे में पता होता है, न ही अपने मां बाप के बारे में. कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो घर से नाराज होकर यहां आ जाते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं, जो घरवालों से बिछड़ कर यहां पहुंच जाते हैं. यही वजह है कि कई बार हरिद्वार में ऐसे बच्चे भी बरामद होते हैं, जिन्हें या तो अगवा कर यहां छोड़ा गया था या फिर वो किसी गिरोह का शिकार हो गए. ऐसे में कई बच्चे तो मजबूरी में भीख मांगते हैं. जबकि, कई बच्चों को भीख मांगने के लिए मजबूर कर दिया जाता है.
दिल्ली के दो बहन भाई पहुंच गए हरिद्वार: हाल ही में हरिद्वार की हरकी पैड़ी स्थित सुभाष घाट से दो बच्चे बरामद हुए, जो आपस में भाई और बहन थे. जिनकी उम्र महज 10 और 14 साल थी. पुलिस की मानें तो दोनों अपने घर दिल्ली से भाग कर हरिद्वार आ गए थे. यहां दो दिनों तक वो भीख मांग कर गुजरा करते रहे. गनीमत रही कि मानव तस्करी निरोधक दस्ते को इन बच्चों की जानकारी मिली. दस्ते ने दोनों बच्चों को अपने कब्जे में लिया. पूछताछ में खुलासा हुआ कि दोनों बच्चे दिल्ली से खुद भाग कर आए हैं.
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वहीं, पुलिस ने दोनों को उत्तर पूर्वी दिल्ली में उनके पिता को सौंप दिया. बच्चों के पिता ने बताया कि वो किसी काम के सिलसिले में बाहर गए हुए थे. ऐसे में घर पर कोई बड़ा सदस्य मौजूद नहीं था. क्योंकि, उसकी पत्नी की मौत हो चुकी है. इसी बीच उनके दोनों बच्चे कहीं चले गए. मकान मालिक ने उन्हें बताया कि उसके बच्चे 5 दिनों से घर नहीं आए हैं. जिसके बाद उन्होंने अपने दोनों बच्चों की तलाश में खाक छानी. इसी बीच पुलिस की टीम ने उनके दोनों बच्चों को हरिद्वार से बरामद कर घर पहुंचा दिया. ये दोनों बच्चे खुशनसीब थे, जो सकुशल घर पहुंच गए, लेकिन कई बच्चे ऐसे हैं, जिनके बारे में कोई कुछ नहीं जानता. कई ऐसे बच्चे हैं, जिनको अपराधी यहां छोड़ गए.
अक्सर हरिद्वार में मिलते हैं बाहर के बच्चे:मुंबई के सीएसटी से प्रियंका (बदला हुआ नाम) की बच्ची को एक युवक सोते हुए उठा ले गया था. कुछ दिनों बाद उसकी बरामदगी हरिद्वार में हुई थी. मुंबई के ही ठाणे से एक 10 साल के बच्चे को अगवा कर लिया गया था, उसकी बरामदगी भी हरिद्वार से ही हुई थी. बच्चा चोरी के ये कुछ ऐसे मामले हैं, जिन्होंने देशभर का ध्यान हरिद्वार की ओर खींचा. इन घटनाओं से धर्मनगरी हरिद्वार का नाम ऐसी लिस्ट में भी जुड़ गया, जहां देश के अलग-अलग हिस्सों से बच्चा चोरी कर हरिद्वार लाए जाते हैं.
इन तमाम मामलों ने उस वक्त भी आला अधिकारियों के कान खड़े कर दिए थे. हरिद्वार में अनजान से दिखने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. मामले में पुलिस बीते कुछ सालों से गंभीर तो हुई है, लेकिन सीजन में अचानक इन बढ़ती बच्चों की संख्या चिंता बढ़ा रही है. हरिद्वार में भीख मांगते बच्चों के झुंड और कूड़ा बीनते बच्चों की फौज को देखकर आशंका और सवाल उठ रहा है कि ये बच्चे किसी गिरोह के शिकार तो नहीं हैं?
कौन हैं मां बाप? किसी को पता ही नहीं:दरअसल, सब काम पुलिस करें ये भी जरूरी नहीं है. हरिद्वार में जगह-जगह भीख मांगते इन बच्चों से कभी किसी समाजसेवी ने भी ये जानने की कोशिश नहीं की है कि आखिरकार ये भीख मांग क्यों रहे हैं? ये पूछना तो दूर इन बच्चों के सिर पर शायद ही कभी किसी ने ममता भरा हाथ रखा हो. हरिद्वार में भीख मांगते इन बच्चों को ये भी नहीं पता है कि वो आए कहां से हैं? उनके मां बाप कौन हैं? इतना ही नहीं कई बच्चों को तो अपने नाम ही नहीं पता? ज्यादातर बच्चों के नाम भी यहां आने वाले यात्रियों ने भीख के साथ ही दे दिए और अब ये नाम ही इनकी पहचान है.