उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

Chhath Puja: डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित, हरकी पैड़ी पर उमड़ा आस्था का सैलाब - haridwar me chhath puja

लोक आस्था का महापर्व छठ अब बिहार और पूर्वांचल के साथ-साथ देश-दुनिया में मनाया जाता है. इसकी एक झलक उत्तराखंड में भी देखने को मिली. हरिद्वार और लक्सर में बिहार और पूर्वाचंल के लोग बड़े ही आस्था से छठ पर्व को मना रहे हैं. आज व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया.

chhath puja celebration in haridwar
छठ महापर्व की धूम

By

Published : Nov 10, 2021, 6:20 PM IST

Updated : Nov 10, 2021, 10:48 PM IST

हरिद्वार/लक्सर: पवित्रता और आस्था का लोकपर्व छठ पूजा का पहला अर्घ्य आज डूबते सूर्य को दिया गया. देशभर में छठ का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. बिहार और पूर्वांचल की लोक आस्था का महापर्व छठ हरिद्वार में भी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. छठ पूजा पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बिहार और पूर्वांचल के लोग दोपहर से ही हरकी पैड़ी समेत विभिन्न गंगा तटों पर एकत्रित हुए. जहां उन्होंने विधि विधान के साथ सूर्य देव को अर्घ्य दिया और उनसे राष्ट्र, समाज और परिवार के कल्याण की प्रार्थना की.

मान्यता है कि जो भी सूर्य भगवान की आराधना सच्चे मन से करता है. उसकी सभी कामनाएं पूरी होती हैं. छठ का व्रत करने वाला धन-धान्य से पूर्ण हो जाता है. छठ पूजा पर हरिद्वार के हरकी पैड़ी समेत सभी गंगा घाटों पर अनुपम दृश्य देखने को मिला रहा है. ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे यह बिहार और पूर्वांचल ही हो. इस दौरान लोग बैंड बाजों की धुन पर थिरकते नजर आए.

छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्पित किया अर्घ्य.

छठ पूजा का वृत चतुर्थी को शुरू होकर सप्तमी को संपन्न होता है. इस दौरान सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं. माना जाता है कि सूर्य भगवान की आराधना करने से सभी ग्रह अनुकूल हो जाते हैं. यह व्रत शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होता है. सूर्य देव को अर्घ्य के साथ फल आदि अर्पित किये जाते हैं. इस व्रत को करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और परिवार के साथ ही देश का भी कल्याण होता है.

पढ़ें:मसूरी: हिमालयन कार रैली में अद्भुत और अनोखी कारों ने लिया हिस्सा, 1950 की बीटल-फिएट ने भी लगाई दौड़

कहा जाता है कि इसी व्रत को करने से नाग कन्या, सुकन्या और द्रौपदी को सुख की प्राप्ति हुई थी. इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है. डाला छठ, छठ पूजा या षष्टी पूजा भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में भी मनाया जाने लगा है. धर्मनगरी भी छठ पर्व के रंग से सराबोर नजर आ रही है. हरिद्वार गंगा तट पर छठ करने वालों की बड़ी संख्या में भीड़ देखने को मिल रही है.

हरकी पैड़ी समेत अन्य घाटों पर छठ पूजा के लिए आए श्रद्धालुओं की उपस्थिति के चलते ऐसा लग रहा था, जैसे हरिद्वार में पूरा बिहार और पूर्वांचल का वास हो गया हो. आज अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया गया. वहीं, गुरुवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा संपन्न होगा.

यह व्रत में चार दिनों का होता है. नहाए खाय से इसकी शुरूआत होती है. दूसरे दिन खरना होता है. तीसरे दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन हो जात है. इसमें व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखती है. छठ पर्व को लेकर पूरे परिवार के सदस्य तैयारी में जुट जाते हैं.

पढ़ें:छठ पूजा में CM धामी हुए शामिल, भगवान भास्कर से मांगी देश-प्रदेश की खुशहाली

वहीं, लक्सर में भी छठ पर्व की धूम देखने को मिल रही है. यहां शुगर मिल में जलकुंड बनाकर व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. कल सुबह में अगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद यह महापर्व संपन्न हो जाएगा.

काशीपुर में भी बिहार और पूर्वांचल का महापर्व छठ पूजा को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. महिलाओं ने छठ मैय्या और भगवान सूर्य की उपासना की. मोटेश्वर महादेव मंदिर के निकट महादेव नहर में छठ सेवा एवं जन कल्याण समिति के बैनर तले 36वां छठ महोत्सव मनाया गया, जिसमें स्थानीय भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा ने मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.

देहरादून में भी लोक आस्था के महापर्व छठ की धूम है. राजधानी स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर में भी छठ पूजा का आयोजन किया गया. आज डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हुए छठी मैया की पूजा आराधना की गई. चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा में सूर्यदेव और छठी मैय्या की पूजा होती है. छठ के पर्व में डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

Last Updated : Nov 10, 2021, 10:48 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details