हरिद्वार: इस बार महाकुंभ पर कोरोना का साया छाया हुआ है. आमजन के साथ अबतक कई संत कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. वहीं, पीएम मोदी की अपील पर कई अखाड़ों ने समय से पहले कुंभ समाप्ति की घोषणा भी कर दी है. वहीं, संन्यासी अखाड़ों के बाद अब बैरागी अखाड़ों के संतों ने भी अपने-अपने गंतव्यों की ओर रवानगी शुरू कर दी है.
बैरागी अखाड़ों ने भी समेटे पंडाल दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद सबसे पहले संन्यासी अखाड़ों ने कुंभ समाप्ति का निर्णय लिया था. साथ ही 27 अप्रैल को होने वाले शाही स्नान को सांकेतिक रूप से करने का फैसला लिया, लेकिन बैरागी संत शाही स्नान को लेकर अड़े हुए थे. बैरागी संतों का कहना था कि 27 अप्रैल को होने वाले शाही स्नान करने के बाद ही वो अपने-अपने खालसों की ओर रवाना करेंगे. लेकिन कोरोना की बढ़ती रफ्तार से अब बैरागी अखाड़ों से जुड़े संतो का भी हौसला डगमगाने लगा है. बैरागी कैंप में लगे संतों के पंडाल अब उतरने लगे हैं और साधु-संतों ने रवानगी शुरू कर दी है.
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बैरागी संत भोला दास का कहना है कि वो जिस उम्मीद से हरिद्वार कुंभ में आए थे, वह उम्मीद अब टूटने लगी है. दरअसल, जो स्वरूप हमने हरिद्वार महाकुंभ के लिए सोचा था, वह स्वरूप कोरोना के कारण बिल्कुल उल्टा हो गया. इतना ही नहीं, शाम को होने वाली रासलीला और रामायण में भी भक्तों की संख्या ना के बराबर ही है. इसे देखते हुए उन्होंने कहा कि बैरागी संतों ने समय से पहले ही पंडालों को समेटने का निर्णय लिया है. हालांकि, 27 तारीख का शाही स्नान बैरागी अखाड़ों के गुरुओं द्वारा किया जाएगा लेकिन जिस तरह से कोरोना महामारी इस समय हरिद्वार में फैल रही है, उसको देखते हुए सभी भक्तों को यह आदेश दिया है कि आप सबसे पहले सुरक्षित रहें, आप सुरक्षित रहेंगे तो आने वाले समय में धर्म सुरक्षित रहेगा.
साधु-संतों ने की रवानगी शुरू