हरिद्वार:सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने का संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने स्वागत किया है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के ऐसे विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने के फैसले का स्वागत करते हुए इस फैसले को सनातन संस्कृति, संस्कार और संवेदनाओं की रक्षा करने वाला बताया है.
समलैंगिक विवाह को सुप्रीम कोर्ट की 'ना' का अखाड़ा परिषद ने किया स्वागत, संस्कार और संवेदनाओं की रक्षा करने वाला फैसला बताया - समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत
Supreme Court decision on gay marriage welcomed उच्चतम न्यायालय ने भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर मंगलवार को अहम फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कानून समलैंगिक जोड़ों के शादी करने के अधिकार को मान्यता नहीं देता है. इसके लिए कानून बनाना देश की संसद का काम है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए खुशी जताई है. Gay marriage is not legally recognized
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Oct 18, 2023, 12:24 PM IST
|Updated : Oct 18, 2023, 2:58 PM IST
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के संबंध में फैसला सुनाया गया था. कोर्ट द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार किया गया था. जिसके बाद कोर्ट के फैसले का हर तरफ स्वागत किया जा रहा है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. रविंद्र पुरी ने कहा है कि इस फैसले ने हमारी आने वाली युवा पीढ़ी को बचाया है.
अखाड़ा परिषद ने कहा इस फैसले से आने वाली पीढ़ियां बचेंगी:श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि समलैंगिक विवाह जैसी कुरीति का अखाड़ा परिषद द्वारा हमेशा से विरोध किया जाता रहा है. आगे भी यह विरोध जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतों में खुशी है. उन्होंने समलैंगिक विवाह को सामाजिक कुरीति बताते हुए कहा कि कोर्ट में डाली गई याचिका में बच्चे गोद लेने की बात कही गई थी, जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है. अगर ऐसा हुआ तो बच्चे होंगे कहां से. कोर्ट ने इस फैसले से कहीं ना कहीं आने वाली पीढ़ियों को बचाया है.
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