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पीरियड्स का दर्द: लॉकडाउन में पैड नहीं मिलने से बढ़ा कपड़े का इस्तेमाल

पीरियड्स के दर्द को महिलाओं से बेहतर भला कौन समझ सकता है. देश में कोरोना के संकट के आगे सरकार इनके इस दर्द को तो भूल ही गई, जो हर माह सेनेटरी पैड नहीं मिलने के कारण कपड़े का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं उन मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं की जो कोरोना से भले ही सेफ हों लेकिन पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल किए जा रहे गंदे कपड़े से बिल्कुल भी नहीं.

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पीरियड्स में कपड़ा

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Published : Jun 2, 2020, 4:38 PM IST

देहरादून:कोरोना संकट के बीच जारी पूर्ण लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने गरीब और जरूरतमंद लोगों के घरों तक राशन तो जरूर पहुंचाया, लेकिन इस बीच सरकार महिलाओं के मासिक धर्म की समस्या को कहीं भूल ही गई. ईटीवी भारत अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से आपका ध्यान देहरादून शहर की 132 मलिन बस्तियों में रहने वाली 3-4 लाख महिलाओं की समस्या की ओर ले जाना चाहता है. वो महिलाएं जो महामारी के बीच सेनेटरी पैड न मिल पाने की स्थिति में मासिक धर्म के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं. देखिए खास रिपोर्ट.

लॉकडाउन में पैड नहीं मिलने से बढ़ा कपड़े का इस्तेमाल.

गौरतलब है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पहले ही कई तरह की शारीरिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है. ऐसे में जिस तरह सेनेटरी पैड न मिल पाने की स्थिति में मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाएं कपड़े के टुकड़े का इस्तेमाल कर रही हैं इससे उन्हें कई तरह की शारीरिक दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है. ईटीवी भारत के सामने अपनी समस्या रखते हुए मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं ने बताया कि वह लॉकडाउन के चलते बीते 2 महीनों से मासिक धर्म के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं. ऐसे में उन्हें कई तरह की शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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मलिन बस्तियों की महिलाओं की अपील

ईटीवी भारत के माध्यम से प्रदेश सरकार और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य से दरख्वास्त करते हुए मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं का साफ कहना था कि सरकार महिलाओं की इस गंभीर समस्या की ओर भी अपना ध्यान केंद्रित करे और बस्तियों में सेनेटरी पैड उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाए.

जानें क्या कहते हैं डॉक्टर्स

मासिक धर्म के दौरान कपड़े के इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों के बारे में देहरादून की जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुमिता प्रभाकर बताती हैं कि यदि कोई महिला मासिक धर्म के दौरान कपड़े का इस्तेमाल कर रही है और वह कपड़ा साफ नहीं है तो ऐसी स्थिति में महिलाओं को बांझपन के साथ ही कई अन्य तरह के गंभीर रोगों से जूझना पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि यदि कोई महिला सेनेटरी पैड उपलब्ध न होने की स्थिति में कपड़े का इस्तेमाल कर रही है तो उसे कपड़े को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह धोकर धूप में जरूर सुखा लेना चाहिए.

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राज्यमंत्री ने दिया आश्वासन

वहीं मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं की समस्याओं को लेकर ईटीवी भारत जब प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य के पास पहुंचा तो मंत्री जी खुद इस बात को स्वीकारती नजर आईं कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड की व्यवस्था नहीं हो सकी. ऐसे में उन्होंने आश्वस्त किया है कि अब जल्द ही सरकार के माध्यम से बस्तियों में रहने वाली महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड की उचित व्यवस्था की जाएगी, जिससे कि बस्तियों में रहने वाली महिलाएं मासिक धर्म के दौरान अपनी स्वच्छता का बेहतर ख्याल रख सकें.

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बहरहाल जिस प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री खुद एक महिला हो उस प्रदेश में बस्तियों में रहने वाली महिलाओं की मासिक धर्म के दौरान यह स्थिति वाकई में सोचने को मजबूर कर देती है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं की समस्याओं से रूबरू होने के बाद मंत्री जी कब तक बस्तियों में महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड की उचित व्यवस्था करवाती हैं.

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