देहरादून: कोरोना संकट के बीच अब अनलॉक का पहला चरण चल रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत अब प्रदेश सरकार आगामी 8 जून से चारों धामों के साथ ही अन्य धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए खोलने पर विचार कर रही है. लेकिन सवाल यही है कि कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच इस समय चारों धामों के साथ अन्य धार्मिक स्थलों को खोलना कितना सुरक्षित होगा ?
गौरतलब है कि हर साल विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा में देश-विदेश से करीब 30 से 32 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं. इससे सरकार को करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन इस साल कोरोना संकट के बीच अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह में चारों धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के कपाट खुल चुके हैं, लेकिन अभी तक श्रद्धालुओं को चारधाम के दर्शनों की अनुमति प्रदान नहीं की गई है.
क्या श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे चारधाम ? चारधाम को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने के विषय में जब ईटीवी भारत ने शासकीय प्रवक्ता मंत्री मदन कौशिक से बात की तो उनका कहना था कि सरकार, केंद्र सरकार की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए चारों धामों के साथ ही प्रदेश के अन्य धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए खोलने पर विचार कर रही है. इसके साथ ही चारों धाम के साथ ही अन्य धार्मिक स्थलों को खोलने से पहले सरकार मंदिर समिति से जुड़े लोगों की राय जानकर विभिन्न बिंदुओं जैसे कि श्रद्धालुओं की संख्या, श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था और मंदिरों में सैनिटाइजेशन की व्यवस्था पर विचार कर रही है. ऐसे में इन सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के बाद ही चारधाम यात्रा को जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा.
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गौरतलब है कि एक तरफ राज्य सरकार पूर्ण लॉकडाउन के चलते हुए राजस्व के भारी नुकसान से उबरने के लिए चारधाम के साथ अन्य धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए खोलने की अनुमति देने की तैयारी में है तो वहीं, दूसरी तरफ मंदिर समिति से जुड़े लोग और चिकित्सक सरकार से फिलहाल चारधाम यात्रा को श्रद्धालुओं के लिए न खोलने की अपील कर रहे हैं.
चारधाम यात्रा को लेकर जाने-माने वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. केपी जोशी बताते हैं कि वर्तमान में जिस तेजी के साथ प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए सरकार को जल्दबाजी में चारधाम यात्रा को लेकर कोई भी बड़ा फैसला नहीं लेना चाहिए. यदि यात्रा शुरू होती है तो इस स्थिति में देश के के कोने-कोने से श्रद्धालु चारधाम का रुख करेंगे. इससे प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों के साथ ही मंदिर के पुजारियों में भी कोरोना संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाएगा. ऐसे में सरकार को सितंबर माह तक ही चारधाम यात्रा को शुरू करने पर विचार करना चाहिए.
वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए बदरीनाथ धाम के डिमरी धार्मिक पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी भी वर्तमान में चारधाम को श्रद्धालुओं के लिए न खोले जाने के पक्ष में हैं. आशुतोष डिमरी के मुताबिक यदि सरकार चारधाम यात्रा शुरू करती है तो उससे पहले सरकार को यात्रा मार्ग पर सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर लेना चाहिए. यदि कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति में थोड़ी भी लापरवाही बरती गई तो इससे मंदिर के पुजारियों में संक्रमण आ जाएगा और इससे निपटना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी.