उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

Water Shortage In Uttarakhand: गर्मियों से पहले ही सूखने लगे लोगों के हलक, सैकड़ों कॉलोनियों में गहराया जल संकट

उत्तराखंड में गर्मियां आने से पहले ही पीने के पानी की किल्लल होने लगी है. जिसके कारण लोगों को परेशान होना पड़ रहा है. राज्य की सैकड़ों कॉलोनियों में पीने के पानी का संकट गहरा रहा है. आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में ये परेशानी और बढ़ने वाली है.

Water Shortage In Uttarakhand
गर्मियों से पहले ही सूखने लगे लोगों के हलक

By

Published : Mar 3, 2023, 4:48 PM IST

Updated : Mar 4, 2023, 10:46 PM IST

गर्मियों से पहले ही सूखने लगे लोगों के हलक

देहरादून: उत्तराखंड में पानी का संकट यूं तो मई और जून महीने में शुरू होता है, लेकिन इस बार लोगों के हलक सूखने का सिलसिला मार्च से ही शुरू हो गया है. स्थिति ये है कि पानी की कमी को लेकर अभी से शिकायतें मिलने लगी हैं. जबकि आंकड़े यह बताते हैं कि गर्मियों के महीनों में सैकड़ों कॉलोनियां हमेशा पानी के लिए तरसती रही हैं.

प्रदेश में यह सीजन तापमान के लिहाज से पहले ही आने वाली परेशानियों को जाहिर करने लगा है. मार्च महीने में तापमान सामान्य से 10 डिग्री तक भी अधिक रिकॉर्ड किया गया है. जबकि अप्रैल महीने में होने वाली गर्मी का एहसास मार्च में ही महसूस हो रहा है. इसका असर न केवल बढ़ते तापमान के रूप में झेलना पड़ रहा है बल्कि, इससे समय से पहले ही पानी का संकट भी खड़ा होने लगा है. इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मार्च महीने में ही देहरादून से 1 दिन के भीतर ही पेयजल की समस्या को लेकर 150 तक शिकायतें मिलने लगी हैं. इसमें पीने के पानी की सप्लाई बाधित होने, गंदा पानी आने से लेकर लीकेज तक की समस्या शामिल हैं.
पढ़ें-अल्मोड़ा में गर्मी बढ़ते ही पानी को तरसे लोग, जलसंस्थान कार्यालय में की तालाबंदी

बड़ी बात यह है कि पेयजल समस्या को लेकर आने वाली शिकायतें रेसकोर्स, राजपुर रोड, पटेल नगर, घंटाघर, ईसी रोड, डालनवाला, विजय कॉलोनी, आईटी पार्क, राजेंद्र नगर, क्लेमेंट टाउन, विधानसभा क्षेत्र जैसे पॉश इलाकों से भी मिल रही हैं. जाहिर है कि राजधानी की अधिकतर कॉलोनियों से शिकायतें आ रही हैं. ऐसी स्थिति में पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल के हालात क्या होंगे यह समझना आसान है. हालांकि, इसके बावजूद जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक इन हालातों के बीच तैयारियों को मुकम्मल करने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कह रही हैं. उधर प्रदेश में पेयजल संकट को लेकर सबसे खराब स्थिति राजधानी देहरादून और हल्द्वानी की बताई गई है.
पढ़ें-सुमाड़ी भरदार में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग, पेयजल योजना क्षतिग्रस्त होने खड़ा हुआ संकट
राज्य में चिंता की बात यह है कि सबसे ज्यादा शिकायतें प्रदेश के सबसे बड़े शहरों से आ रही हैं. इसमें देहरादून और हल्द्वानी शहर शामिल हैं. इसकी बड़ी वजह यह भी कही जा सकती है कि इन क्षेत्रों में ज्यादा जनसंख्या होने के कारण यहां लोगों की शिकायतों का आंकड़ा अधिक है. पेयजल को लेकर सबसे ज्यादा समस्याएं पर्वतीय क्षेत्रों में हैं. अब आंकड़ों से जानिए राज्य में कितनी कॉलोनियों के लोग गर्मियों के मौसम में पानी के लिए परेशान रहते हैं.

  • उत्तराखंड में साल 2022 के दौरान कुल 371 कॉलोनियों में पेयजल की रही समस्या
  • 2022 में पेयजल की समस्या से ग्रसित इन कॉलोनियों में 172 टैंकर से पानी की आपूर्ति की गई.
  • साल 2021 में 379 बस्तियों में पानी की कमी रही. जहां 224 टैंकरों से पानी पहुंचाया गया.
  • कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान भी 2020 में 230 कॉलोनियां पानी की सुलभ आपूर्ति से महरूम रही.
  • इस दौरान इन कॉलोनियों के लिए 111 टैंकरों की व्यवस्था की गई.
  • राज्य में सबसे ज्यादा पानी के संकट को लेकर शिकायतें देहरादून और हल्द्वानी शहर से आई
  • साल 2022 में देहरादून में 194 कॉलोनियों में रही पानी की समस्या
  • नैनीताल जिले में 48 कॉलोनियों में रहा पानी का संकट
  • सबसे कम पेयजल आपूर्ति की शिकायत वाले जिले में 2022 के दौरान टिहरी और बागेश्वर जिले का नाम शामिल है.

आंकड़ों के लिहाज से पर्वतीय जनपदों की बात करें तो उत्तरकाशी और पौड़ी जनपद गढ़वाल में पानी के संकट को लेकर सबसे प्रभावित दिखाई देते हैं. उधर कुमाऊं मंडल में पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जनपद में सबसे ज्यादा बस्तियों में पानी की समस्या आ रही है. राज्य में इस बार तापमान सामान्य से कई डिग्री अधिक चल रहा है. इससे भी बड़ी बात यह है कि सर्दी के मौसम में बारिश सामान्य से 90% से भी कम रही है. लिहाजा इसका असर जल स्रोतों पर भी पड़ा है. ऐसे हालात में इस बार गर्मियों के मौसम में पानी का संकट और भी ज्यादा गहराने की आशंका जताई जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि चारधाम यात्रा भी राज्य में शुरू होने वाली है. ऐसे में इस पूरे क्षेत्र में पानी की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती बन सकता है.
पढ़ें-सतपाल महाराज के चौबट्टाखाल में हर घर नल, हर घर जल योजना का टैंक टूटा, पानी को तरसे लोग

इन्हीं हालातों को देखते हुए गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने भी संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी करते हुए प्रदेशभर में पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था को तैयार करने के लिए कहा है. यही नहीं चारधाम यात्रा मार्गों पर खासतौर से ध्यान देने के लिए भी कहा गया है. उत्तराखंड में गर्मियों का मौसम हमेशा ही कई क्षेत्रों के लिए पेयजल संकट को लेकर आता है. ऐसे में हमेशा नई योजनाओं को तैयार करने की बात की जाती है लेकिन, पर्वतीय क्षेत्रों के लिए किसी बड़े प्रोजेक्ट पर कोई खास काम नहीं हो पाया. नतीजा यह है कि राज्य के पर्वतीय जनपदों में कई क्षेत्र जल स्रोत सूखने के बाद सरकारी सिस्टम से पानी की आपूर्ति का इंतजार करते रहे हैं. टैंकरों के जरिए कुछ क्षेत्रों में व्यवस्था की जाती है लेकिन, यह व्यवस्था नाकाफी है. इन तमाम स्थितियों के चलते आज भी लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे में अब इस गर्मी के मौसम में यदि हालात आशंकाओं के अनुरूप हुए तो मुश्किलें कई गुना ज्यादा बढ़ सकती है.

Last Updated : Mar 4, 2023, 10:46 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details