देहरादून:उत्तराखंड में सरकारी कामकाज किन हालात में आगे बढ़ता है, इसकी बानगी स्वास्थ्य विभाग में एक रिटायर्ड अधिकारी की पुनर्नियुक्ति से समझा जा सकता है. स्वास्थ्य महानिदेशक 4 सदस्य कमेटी बनाकर जिस दिन आईईसी में हुई अनियमितता की जांच के आदेश करती है, उसी दिन यहां तैनात रहे अधिकारी को आउट सोर्स पर पुनर्नियुक्ति भी दे दी जाती है. मजे की बात ये है कि इस पुनर्नियुक्ति की जानकारी न तो सूबे के मुखिया यानी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को है और नहीं विभागीय मंत्री डॉ धन सिंह रावत को.
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का नारा देने वाली भाजपा सरकार में ऐसे कारनामे सामने आ रहे हैं, जो बेहद चौंकाने वाले हैं. वैसे तो इस जीरो टॉलरेंस की सरकार में नियुक्ति घोटालों की चर्चा होती रही है, लेकिन इस बार मामला पुनर्नियुक्ति का है. दस्तावेज बताते हैं कि कैसे स्वास्थ्य महानिदेशक महानिदेशालय में मुद्रण स्टेशनरी और आईईसी यानी इंफॉर्मेशन एजुकेशन कम्युनिकेशन में हुई अनियमितताओं को लेकर 3 सदस्य जांच कमेटी का गठन कर जांच के आदेश देती है. वहीं, इसी आईईसी की कमान संभालने वाले सूचना शिक्षा एवं संचार अधिकारी को भी इसी दिन सेवानिवृत्त होने के बाद पुनर्नियुक्ति दे दी जाती है. हैरानी की बात यह है कि इस नियुक्ति के बारे में न तो मुख्यमंत्री और न ही विभागीय मंत्री को बताया जाता है.