देहरादूनः उत्तराखंड के काशीपुर स्थित गोविषाण टीले को बुद्धिस्ट सेंटर के रूप में विकसित किए जाने को लेकर उत्तराखंड पर्यटन विभाग तिब्बती के गुरु और लामा लोगों से बातचीत करेगी. इसके साथ ही राज्य सरकार ने इस टीले को बुद्धिस्ट सेंटर के रूप में विकसित किए जाने को लेकर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय से भी मदद का आग्रह किया है.
दरअसल, बीते दिन पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने गोविषाण टीले के रहस्य को जानने के लिए केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री को पत्र भेजा था. पर्यटन मंत्री के मुताबिक काशीपुर को हर्षवर्धन के समय में 'गोविषाण' के नाम से जाना जाता था. इसी कालखंड के दौरान चीनी यात्री ह्वेनसांग एवं फाह्यान यहां आए थे.
गोविषाण टीले को बुद्धिस्ट सेंटर के रूप में विकसित करने की कवायद. ह्वेनसांग के मुताबिक मादीपुर से 66 मील की दूरी पर एक ढाई मील ऊंचा गोलाकार स्थान है. कहा जाता है कि इस स्थान पर उद्यान, सरोवर एवं मछली कुंड थे. इनके बीच ही दो मठ भी थे, जिसमें बौद्ध धर्म अनुयायी रहते थे. जबकि नगर के बाहर एक बड़े मठ में 200 फीट ऊंचा अशोक का स्तूप था. इसके अलावा दो छोटे-छोटे स्तूप थे, जिनमें भगवान बुद्ध के नाक एवं बाल रखे गए थे. इन मठों में भगवान बुद्ध ने लोगों को धर्म उपदेश दिए थे.
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महाराज ने बताया कि काशीपुर स्थित गोविषाण टीले की ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व को देखते हुए यहां अति शीघ्र उत्खनन करवाया जाना चाहिए, जिससे मिट्टी में दबी यह विरासत विश्व के सामने उजागर हो सके. भगवान बुद्ध की स्मृतियों के दृष्टिगत निश्चित रूप से यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र बन सकता है. साथ ही महाराज ने कहा कि इस संबंध में तिब्बती गुरु और लामा लोगों से बातचीत की जाएगी.