देहरादून: उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से बाकी राज्यों से बेहद अलग और खास है. ये बात हम यूं ही नहीं कह रहे बल्कि इसके पीछे की वजह प्रदेश में विविधताओं वाले पर्यटन का होना है. जी हां, उत्तराखंड शायद ऐसे बेहद खास राज्यों में से है, जहां प्राकृतिक सौंदर्य के अलावा विभिन्न तरह के पर्यटन स्थल मौजूद हैं.
राज्य स्थापना के दौरान महज धार्मिक पर्यटन के लिए देश-विदेश में जाने जाना वाला उत्तराखंड अब ऐसे कई पर्यटन पर फोकस कर रहा है. जिसे देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विकसित किया जा रहा है. हिलाजा, उत्तराखंड में आज पर्यटक इको-टूरिज्म, साहसिक पर्यटन, वन्यजीव पर्यटन, सांस्कृतिक-ऐतिहासिक पर्यटन और फेस्टिवल पर्यटन के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.
इको टूरिज्म के रूप में पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए उत्तराखंड आ रहे हैं. इसमें उत्तराखंड की वादियां, पहाड़, झरने, जंगल और पशु पक्षियों को देखने की इच्छा पर्यटकों में बेहद ज्यादा रहती है. उत्तराखंड की करीब 30% से ज्यादा अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर करती है. इस लिहाज से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार पर्यटन के तमाम अवसरों को भुनाने में जुटी है. इसके मद्देनजर इको टूरिज्म विकास निगम की भी स्थापना की गई है. जिसके बाद प्रदेश में 5 इको टूरिज्म सर्किट स्थापित किए गए हैं.
इको टूरिज्म सर्किट | पर्यटन स्थल |
पहला सर्किट | देहरादून, ऋषिकेश, टिहरी, धनोल्टी, रानीचोरी, टिहरी झील |
दूसरा सर्किट | हरिद्वार, कोटद्वार, कलाश्रम, चिड़ियापुर, कोल्हूचौड़ (हरिद्वार अभी जुड़ा) |
तीसरा सर्किट | चकराता, टोंस और आसन बैराज |
चौधा सर्किट | रामनगर, नैनीताल, कौसानी |
पांचवां सर्किट | टनकपुर, चंपावत, चोरगलिया और देवीधुरा |
बता दें, उत्तराखंड में मुख्य रूप से ईको टूरिज्म के रूप में नैनीताल, मसूरी, देहरादून, कौसानी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली के कई क्षेत्र शामिल है. इसके साथ ही वन क्षेत्रों में भी 14 इको टूरिज्म स्थलों को भी चयनित किया गया है.
साहसिक पर्यटन में आई तेजी
साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में भी उत्तराखंड पिछले कुछ सालों में तेजी से आगे आया है. इसमें साहसिक खेलों से लेकर ट्रैकिंग, पर्वतारोहण, रॉक क्लाइंबिंग और मोटरसाइकिल रैली को करने के लिए पर्यटक उत्तराखंड को खूब पसंद कर रहे हैं. औली में स्कीइंग, टिहरी झील में वाटर स्पोर्ट्स, बंजी जंपिंग, साइकिलिंग टूर, पैराग्लाइडिंग और ऋषिकेश में हो रही राफ्टिंग भी पर्यटकों को खूब भा रही है.
धार्मिक पर्यटन के रूप में उत्तराखंड दुनिया में जाना जाता है. इसमें चारधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ समेत कई ऐसे पौराणिक मंदिर और धार्मिक मान्यताओं वाले स्थल हैं, जहां पर्यटक देश-विदेश से भ्रमण करने आते हैं.
साल 2018-19 में उत्तराखंड पहुंचे देशी-विदेशी पर्यटकों का आंकड़ा
पर्यटन स्थल (2018-19) | देशी पर्यटक | विदेशी पर्यटक |
गंगोत्री | 4,47,239 | 599 |
यमुनोत्री | 3,93,963 | 482 |
केदारनाथ | 7,30,387 | 1604 |
बद्रीनाथ | 10,46,987 | 1064 |
हेमकुंड | 1,58,817 | 286 |
हरिद्वार | 2,15,55,000 | 22,583 |
वाइल्डलाइफ टूरिज्म
उत्तराखंड में वन्यजीव पर्यटन के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या भी पिछले सालों की तुलना में बढ़ी है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कॉर्बेट नेशनल पार्क में पहुंचकर डिस्कवरी चैनल के 'मैन वर्सेस वाइल्ड' कार्यक्रम की शूटिंग में हिस्सा लिया था. जिसके बाद यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ गई. जबकि दुनियाभर की तरह भारत में भी वाइल्डलाइफ पर्यटन की इच्छा रखने वाले पर्यटकों में इजाफा हुआ है. उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में 2018-19 में 2,83,281 पर्यटक पहुंचे. इसके अलावा 6,062 विदेशी पर्यटक भी यहां वन्यजीवों को देखने आए. जिससे पार्क प्रशासन को करीब 8 करोड़ 64 लाख रुपये की आमदनी हुई. इसी तरह राजाजी नेशनल पार्क में भी पर्यटकों की आवक धीरे-धीरे बढ़ रही है.
योग पर्यटन
उत्तराखंड में योग और आध्यात्म के दृष्टिकोण से भी बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. खास बात यह है कि इसमें आने वाले पर्यटकों में विदेशी पर्यटकों की भी अच्छी खासी संख्या है. ऋषिकेश को योग की राजधानी माना जाता है, ऐसे में हरिद्वार और ऋषिकेश में योग और आध्यात्म को लेकर आने वाले पर्यटकों की संख्या ज्यादा रहती है. इसे दूसरे रूप में वेलनेस टूरिज्म के रूप में भी देखा जा सकता है. बता दें, उत्तराखंड सरकार प्रदेश में वेलनेस सेंटर पर भी काम कर रही है. जिससे तमाम जगहों पर वेलनेस सेंटर स्थापित किए जाएंगे. इसको लेकर आयुष विभाग द्वारा राज्य में ऐसे सेंटर्स को सर्विस करने के लिए विशेष काम किया जा रहा है.
सांस्कृतिक और फेस्टिवल टूरिज्म
उत्तराखंड में सांस्कृतिक और फेस्टिवल टूरिज्म भी एक बड़े आकार में उभरकर सामने आ रहा है. फेस्टिवल टूरिज्म के रूप में प्रदेश में विभिन्न मेलों को प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है. जबकि नंदा देवी राजजात यात्रा जैसी विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों को भी चिन्हित कर पर्यटन को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. प्रदेश में सांस्कृतिक रूप से भी लोगों को आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है. इसमें होम स्टे योजना एक बड़ी भूमिका के रूप में सामने आई है. प्रदेश में होम स्टे योजना के तहत राज्य की संस्कृति, रहन-सहन को जानने की इच्छा रखने वाले लोगों को यहां आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है. होम स्टे के तहत प्रदेश में 1500 से ज्यादा लोग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, जबकि इसमें 300 से ज्यादा लोगों ने लोन लेकर इस योजना से खुद को जोड़ा है.
पर्यटन विभाग के सरकारी आंकड़ों की मानें तो उत्तराखंड में साल 2018-19 में कुल 3,66,97,678 देशी यात्री आये. जबकि 1,54,526 विदेशी यात्री यहां पहुंचे. पर्यटन विभाग भी मानता है कि जिस तरह विभिन्न क्षेत्रों में पर्यटन का प्रसार हो रहा है और राज्य सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में जुटी है. इससे आने वाले समय में पर्यटकों की संख्या और भी बेहतर होगी. उधर पर्यटन विभाग प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था में पर्यटन की अहम भूमिका मानते हुए आने वाले समय में इसके बढ़ने की बात कह रहा है.