देहरादून:उत्तराखंड में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. मोबाइल और सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार लोग ऐसे गिरोह का शिकार हो रहा है जो पलक झपकते ही रात के खातों से पैसे इस तरह से उड़ा लेते हैं. अगर इन अपराधियों से पैसे के रिकवरी रेट को देखा जाए तो उत्तराखंड पुलिस का काफी हद तक एक्शन में दिखाई देती है. उत्तराखंड साइबर पुलिस ने फ्रॉड का शिकार लोगों को अब तक 27 करोड़ 44 लाख 517 रुपए वापस करवाये हैं.
उत्तराखंड जैसे छोटे से पहाड़ी राज्य में भी साइबर अपराधी लोगों को नहीं बख्शा रहे हैं. सबसे ज्यादा इन लोगों के टारगेट पर देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, ऋषिकेश जैसे क्षेत्रों के लोग हैं. ज्यादातर लोग बैंक द्वारा की गई फ्रॉड कॉल का शिकार हो जाते हैं. या फिर ऑनलाइन सामान खरीदने में भी लोगों से धोखा खा जाते हैं. तमाम मामलों को देखते हुए उत्तराखंड में 2017 में साइबर सेल का गठन किया गया. तब से साइबर सेल लगातार एक्शन में है.
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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, हरिद्वार और तराई के इलाकों में हर एक हफ्ते में दो से तीन लोग फ्रॉड कॉल का शिकार हो रहे हैं. इस एवज में ₹10000 से लेकर से ₹200000 की रकम यह लोग ऐसे ही गंवा रहे हैं. इनमें से कुछ लोग तो साइबर थाने में शिकायत कर रहे हैं, तो कुछ चुपचाप बैठ जाते हैं. पुलिस के अधिकारी मानते हैं कि कई लोग सामने ही नहीं आते, लेकिन जो लोग आते हैं उन मामलों की पुलिस गहनता से जांच करती है.
अब तक इतने करोड़ करवाएं वापस: साइबर सेल का गठन होने के बाद से लेकर आज तक उत्तराखंड साइबर सेल पुलिस ने 27 करोड़ 56 लाख 44 हजार 517 रुपए लोगों के वापस करवाए हैं. पुलिस के अनुसार 10705 शिकायतें पुलिस को अब तक मिली हैं. जिसमें पुलिस ने 27 करोड़ से भी अधिक की धनराशि उन लोगों को वापस की गई है जो लोग साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं. इतना ही नहीं पैसे वापस करवाने के साथ-साथ साइबर सेल ने मोबाइल रिकवर भी करवाये हैं.
इतने मोबाइल हुए बरामद: साइबर पुलिस ने लगभग 2490 लोगों के मोबाइल भी वापस करवाए हैं. पुलिस के पास मोबाइल से जुड़ी 10685 शिकायतें अब तक आई हैं. यह वह शिकायतें हैं जो साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दी गई हैं. उत्तराखंड पुलिस लगातार जनता के लिए कैंपेन चला रही है ताकि लोग सोशल मीडिया और दूसरे संसाधनों पर साइबर क्राइम का शिकार ना हो.
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अकाउंट से पैसे उड़ें तो ये करें:अगर बैंक से किसी तरह का फ्रॉड हो जाता है तो इसकी जानकारी तत्काल बैंक के संबंधित अधिकारी और उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस के फाइनेंशियल फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर 1930 में देनी आवश्यक है. जिससे समय रहते जमा पूंजी को रिकवर किया जा सके. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बैंक या अन्य तरफ से ऑनलाइन साइबर ठगी होने की काफी देर बाद शिकायत दर्ज कराई जाती है. जिसके कारण सबसे बड़ी समस्या धोखाधड़ी में गंवाई गई धनराशि को रिकवरी करने में आती है.
साइबर क्राइम कंट्रोल डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक, बैंक से किसी तरह का भी फ्रॉड होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 से साइबर क्राइम पुलिस को सूचना दें. उसके तत्काल बाद ही कार्रवाई शुरू हो जाएगी. उस क्राइम में बैंक कर्मी भी शामिल होता है तो उसे भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.
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एप डाउनलोड करने से पहले ये जान लें:वहीं, दूसरी तरफ रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार हर एक बैंक के ऑनलाइन एप को डाउनलोड करने के लिए कई तरह की सुरक्षित जानकारियां भी दी जाती हैं. मसलन संबंधित बैंक एप का ओरिजिनल Logo बैंक से जुड़े स्पेशल कंटेंट जैसे आवश्यक जानकारी वास्तविक एप की पहचान है. वहीं, बैंक के ऑरिजनल एप डाउनलोड करने में एक और जानकारी आवश्यक है जो बैंक की वास्तविक ऐप होगी उसकी डाउनलोड की संख्या हजारों और लाखों में होगी, जबकि फेक एप जो इंटरनेट सर्च इंजन से डाउनलोड होता है, उसकी संख्या महज 200-300 तक हो सकती है. ऐसे संबंधित ऑनलाइन बैंक एप डाउनलोड करने का तरीका बैंक जाकर ऑफिशल एप को डाउनलोड करने में सुरक्षा है.