देहरादून:प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव केमद्देनजर भाजपा संगठन ने कसरत शुरू कर दी है. आलाकमान द्वारा प्रदेश की कमान पुष्कर सिंह धामी को सौंपने के बाद अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड के नेताओं को प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होना है, जिसके लिए उत्तराखंड राज्य से भी नेताओं के नामों पर चर्चाएं तेज है.
चार नामों पर हो रही चर्चा
सबसे पहला नाम नैनीताल लोकसभा सीट से सांसद अजय भट्ट का है. उनके बाद राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री एवं पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत का नाम भी शामिल है. हालांकि, चर्चाएं पहले से ही चल रही थीं कि अनिल बलूनी और अजय भट्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. वहीं, मार्च 2021 में प्रदेश में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद चर्चाएं इस बात की शुरू हो गई थीं कि तीरथ सिंह रावत को केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. इसके साथ ही त्रिवेंद्र सिंह रावत भी कई बार नई और बड़ी जिम्मेदारी मिलने की बातें कह चुके हैं.
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नेतृत्व परिवर्तन के बाद तीरथ को मिल सकता है 'सम्मान'
इसके साथ ही एक बार फिर उत्तराखंड राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद अब चर्चाओं का बाजार गर्म है कि पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद तीरथ सिंह रावत को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. उत्तराखंड में अगले साल ही विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में माना जा रहा कि उत्तराखंड समेत जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां से भाजपा सांसदों को केंद्र में मंत्री पद से नवाजा जा सकता है. इसे देखते हुए राज्य में भी केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में और जगह मिलने की चर्चा तेज हो गई है. केंद्र में वर्तमान में उत्तराखंड से हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक शिक्षा मंत्री हैं.
तीरथ को क्यों मिल सकती है तरजीह?
तीरथ सिंह रावत अभी पौड़ी गढ़वाल से सांसद हैं. मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत को एकाएक हटाने के बाद तीरथ सिंह रावत को पद सौंपा गया था, लेकिन चार महीने भी पूरे नहीं हो पाए थे और उपचुनाव का हवाला देकर उनसे इस्तीफा ले लिया गया. कहीं न कहीं तीरथ के साथ जो हुआ वो उनके साथ अन्याय से जोड़कर देखा जा रहा है. जो कुछ भी तीरथ सिंह रावत के साथ हुआ उसमें उन्होंने पार्टी की सभी गाइडलाइन को फॉलो किया, उससे अलग जाकर कोई बयानबाजी नहीं की. इसके साथ ही जिस तरीके से तीरथ की विदाई हुई, उससे गढ़वाल के राजपूत वोटर्स की नाराजगी से बचने के लिए भी उनका नाम आगे बढ़ाया जा सकता है.
जातीय संतुलन का वेटेज
पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा को केंद्र में कपड़ा राज्य मंत्री का पद दिया गया था. उस समय टम्टा को दलित वोटरों का चेहरा माना जा रहा था, उनको केंद्र में जगह देकर बीजेपी की दलित वोटरों तक पहुंच बनाने की कोशिश थी. हालांकि, मोदी 2 सरकार में टम्टा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए गए, लेकिन उत्तराखंड से पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक को जगह दी गई. अब अगर तीरथ सिंह रावत को मंत्रिमंडल में जगह मिलती है तो राजपूतों को साधने की कोशिश होगी.
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कुल मिलाकर देखें तो उत्तराखंड राज्य में वर्तमान समय में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. इसके साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार रणनीति बना रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि उत्तराखंड के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों (त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत) को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है, जिससे, जनता के बीच पार्टी की छवि को सुधारा जा सके.
पहले से ही सांसद अजय भट्ट और अनिल बलूनी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के दावेदार बताए जा रहे थे.हालांकि, इतना तो तय है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड के इन नेताओं में से किसी एक को जगह मिल सकती है.