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डीएम ने दिया आश्वासन, राज्य आंदोलनकारियों की सहमति के बिना शहीद स्मारक से नहीं होगी छेड़छाड़

काफी समय से इस तरह की चर्चाएं चल रही है कि शहीद स्मारक को तोड़कर नया बनाया जाएगा. जिस पर राज्य आंदोलनकारियों रोष व्यक्त किया था. मंगलवार को इस संबंध में आंदोलनकारियों ने मुख्य सचिव और देहरादून जिलाधिकारी से मुलाकात की.

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शहीद स्मारक

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Published : Nov 3, 2020, 7:27 PM IST

देहरादून: राजधानी में स्मार्ट सिटी के तहत कई विकास कार्य किए जा रहे हैं. देहरादून की सूरत बदलने के लिए कई पुराने भवनों को तोड़कर नया बनाया जा रहा है. कलेक्ट्रेट को तोड़कर भी नया कलेक्ट्रेट बनाने की योजना चल रही है. वहीं पुराने शहीद स्मारक को तोड़कर नए शहीद स्मारक के निर्माण का भी प्रस्ताव आया था, लेकिन सभी आंदोलनकारियों ने शहीद स्मारक को न छेड़ने के बात कही है.

इस मामले में मंगलवार को राज्य आंदोलनकारियों ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश से मुलाकात की. मुख्य सचिव ने उन्हें आश्वासन देते हुए देहरादून जिलाधिकारी से मिलने को कहा था. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि यह उनकी अस्मिता से जुड़ा स्थान है. वे इसे किसी भी कीमत पर नहीं टूटने देंगे.

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जिलाधिकारी आशिष श्रीवास्तव ने भी राज्य आंदोलनकारियों को आश्वान दिया कि शहीद स्मारक पर कोई निर्माण कार्य नहीं होगा. जिलाधिकारी ने विश्वास दिलाया कि बिना राज्य आन्दोलनकारियों की सहमति से बिना शहीद स्मारक के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. ऐसे कोई कदम नहीं उठाया जाएगा जिससे राज्य आंदोलनकारियों की भावना को ठेस पहुंचे.

बीजेपी राज्य आंदोलनकारियों के साथ

देहरादून कचहरी स्थित शहीद स्थल के ध्वस्तीकरण को लेकर उठे सवालों पर बीजेपी ने स्पष्ट किया है कि आंदोलनकारी संगठनों की सहमति व भावनाओं के अनुरूप ही कोई निर्णय लिया जाएगा. बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष व मीडिया प्रभारी डॉ. देवेंद्र भसीन ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों ने अपने प्राण देकर इस प्रदेश को संवारा है. वे सभी हमारे लिए वंदनीय हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत राज्य आंदोलनकारियों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है.

शहीद स्थल को किसी अन्य जगह शिफ्ट करने या फिर भव्य बनाने का काम बिना आंदोलनकारी संगठनों की सहमति के बिना नहीं किया जाएगा. इस बारे में प्रशासन व शासन स्तर पर आंदोलनकारी संगठनों से बात की जा रही है. यह तय है कि जो भी निर्णय होगा वह आंदोलनकारी संगठनों की इच्छा व सहमति के अनुरूप होगा. क्योंकि आंदोलनकारियों की इच्छा ही भाजपा सरकार व संगठन की इच्छा है.

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