देहरादून: उत्तराखंड में अफसर और नेताओं की विदेश यात्रा कोई नई बात नहीं है. लेकिन इन यात्राओं का क्या फायदा राज्य को होता है, यह सवाल जरूर सार्वजनिक रूप से पूछा जाता रहा है. इस बार ऐसी ही एक विदेश यात्रा को लेकर स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है. हैरत की बात यह है कि यात्रा के 6 महीने बाद भी अब तक संबंधित अधिकारियों की तरफ से कोई रिपोर्ट सबमिट नहीं की गई है.
विदेश दौरे में क्या सीखा नहीं दी रिपोर्ट: स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के नाम पर विदेश का दौरा तो कर लिया, लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी इस दौरे के दौरान उन्हें क्या अनुभव हुए इसको लेकर रिपोर्ट शासन में प्रेषित नहीं की गयी. खास बात यह है कि विदेश जाने वाले इन अफसरों में स्वास्थ्य महानिदेशक से लेकर विभाग के कई बड़े अधिकारी शामिल थे.
स्वास्थ्य विभाग के ये अफसर गए थे विदेश: दरअसल 5 फरवरी 2023 से लेकर 11 फरवरी 2023 तक ताइवान के नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी में एग्जीक्यूटिव लीडरशिप प्रोग्राम फॉर मिडल एंड सीनियर लेवल ऑफिशल्स प्रशिक्षण रखा गया था. जिसके लिए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के 11 अधिकारियों को ताइवान जाने के लिए अनुमति दी गई थी. इन अधिकारियों में स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक विनीता शाह, एनएचएम डायरेक्टर सरोज नैथानी, एसीएमओ नैनीताल तरुण कुमार टम्टा, सीएमओ चमोली राजीव कुमार शर्मा, सीएमओ उधम सिंह नगर सुनीता रतूड़ी, हरिद्वार डीटीओ राजेश कुमार सिंह, असिस्टेंट डायरेक्टर नरेश नपलच्याल, तुहीन कुमार, डीटीओ मनोज कुमार वर्मा, एसीएमओ अल्मोड़ा दीपांकर डेनियल्स और पौड़ी एसीएमओ रमेश कुंवर को विदेश में प्रशिक्षण के लिए अनुमति दी गई थी.
ताइवान गए स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को नोटिस: हैरानी की बात यह है कि एक हफ्ते चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी विदेश पहुंचे, लेकिन यात्रा पूरी करने के बाद किसी ने भी रिपोर्ट शासन को प्रेषित करने की जहमत नहीं उठाई. ऐसे में सचिव स्वास्थ्य आर राजेश कुमार ने अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है.
अफसरों ने किया सरकारी पैसों का दुरुपयोग? अफसरों से पूछा गया है कि 6 महीने बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट क्यों शासन को प्रेषित नहीं की गई. यही नहीं आदेश में लिखा गया कि जिस तरह से सरकार ने विदेश जाने के लिए अफसरों पर खर्च किया, उसके बाद भी रिपोर्ट सबमिट नहीं हुई. ऐसे में लगता है कि यह शासकीय धन का दुरुपयोग है. इस लिहाज से यह अफसरों का केवल पर्यटन भ्रमण दिखाई देता है.
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