देहरादून:उत्तराखंड में किसी जमाने में 3000 छोटे-बड़े तालाब हुआ करते थे. लेकिन अब इनमें से बहुत से तालाब (missing ponds in Uttarakhand) गायब हो गए हैं. अकेले उधम सिंह नगर में ही 500 से अधिक तालाब खोजने से भी नहीं मिल रहे हैं. ऐसा ही हाल हरिद्वार का भी है. ऐसे में अब उत्तराखंड में भी लापता तालाबों की खोज शुरू हो गई है. केंद्र सरकार के भू जल संरक्षण (ground water conservation) के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने भी इसके लिए कवायद तेज कर दी है. राज्य सरकार एक बड़े अभियान के साथ उन तमाम अतिक्रमणों पर बुलडोजर चलाने जा रही है, जहां कभी तालाब हुआ करते थे.
भारत सरकार भू जल संरक्षण के लिए तमाम प्रयास कर रही है. भारत सरकार का जल शक्ति मंत्रालय छोटी बड़ी नदियों को अविरल और निर्मल बनाने के साथ ही अब एक बड़ी पहल शहरों और गांवों के उन तालाबों को पुनर्जीवित करने की है जो समय के साथ लुप्त हो गए हैं. उत्तराखंड सरकार को इसके लिए भारत सरकार ने एक पत्र भेजा है. पत्र में प्रदेश में तालाबों की स्थिति को सुधारने की बात कही गई है. साथ ही जिन तालाबों पर अतिक्रमण हुआ है, उन्हें भी मुक्त करवाने की बात पत्र में कही गई है. केंद्र सरकार से मिले इस पत्र के बाद राज्य सरकार ने कवायद तेज कर दी है.
उधम सिंह नगर और हरिद्वार में सबसे ज्यादा लापता तालाब:उत्तराखंड में 2 जिलों में सबसे अधिक तालाब हुआ करते थे. यह दोनों जिले ही मैदानी यानी तराई क्षेत्र के हैं. हरिद्वार और उधम सिंह नगर दोनों ऐसे जिले हैं जहां पर समय के साथ कंक्रीट के जंगल खड़े हुए हैं. इन तालाबों के आसपास पहले तो छोटे-मोटे रिहायशी इलाके बने. उसके बाद यहां बस्तियां बन गईं. जिसके कारण तालाब यहां से गायब हो गये.
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केंद्र सरकार चाहती है कि तालाबों के ऊपर हुए अतिक्रमण को राज्य सरकारें मुक्त कराएं. इन तालाबों को फिर से पुनर्जीवित किया जाये. अब राज्य सरकार इन दोनों जनपदों में पुराने तालाबों की खोजबीन में जुट गई है. इसके लिए दोनों ही जिलों के जिलाधिकारियों को रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया है. इस रिपोर्ट में तालाबों की पुरानी स्थिति, अतिक्रमण से संबंधित पूरी जानकारी होगी.
कुमाऊं में काम शुरू:उत्तराखंड के तराई इलाकों में राजस्व विभाग की टीमें इस काम को अमलीजामा पहनाएंगी. हरिद्वार और उधम सिंह नगर जैसे जनपदों में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग 3000 छोटे-बड़े तालाब हुआ करते थे, लेकिन अब इनमें से बहुत से तालाब गायब हो गए हैं. अकेले उधम सिंह नगर में ही 500 से अधिक तालाब खोजने से भी नहीं मिल रहे हैं. ऐसा ही हाल हरिद्वार का भी है. ऐसे में अब राज्य सरकार एक बड़े अभियान के साथ उन तमाम अतिक्रमणों पर बुलडोजर चलाने जा रही है जहां कभी तालाब हुआ करते थे.