देहरादून: उत्तराखंड देश-दुनिया में देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहां धार्मिक स्थलों के अलावा कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जहां लाखों की संख्या में सैलानी हर साल घूमने आते हैं. इन पर्यटन स्थलों में दून स्थित सहस्त्रधारा भी है. जहां गर्मी से राहत पाने के लिए लाखों सैलानी यहां पहुंचते है. सहस्त्रधारा की एक खास बात यह भी है कि यहां गंधक के पानी का प्राकृतिक स्रोत भी है. जिसमें नहाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं.
सहस्त्रधारा में गंधक के प्राकृतिक जलस्रोत को संरक्षण की दरकार. बता दें कि गर्मियों का सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में देश के कोने-कोने से सैलानी गर्मी से राहत पाने के लिए उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं. सैलानियों को उत्तराखंड की शांत वादियां खूब भाती है. यहीं कारण है कि हर साल करीब 3 करोड़ से ज्यादा सैलानी उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में घूमने आते हैं. इन स्थलों में देहरादून स्थित सहस्त्रधारा भी शुमार है. जहां गर्मी से राहत पाने के लिए लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं.
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वहीं, मौजूदा समय में सहस्त्रधारा की स्थिति कुछ ठीक नहीं लग रही है. जिस वजह से यहां आने-वाले सैलानी नाखुश नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि यहां सफाई व्यवस्था बहुत लचर है और इसके लिए प्रशासन को कोई मुकम्मल व्यवस्था करनी चाहिए. हालांकि, फिर भी सहस्त्रधारा में आने वाले सैलानियों की संख्या में कोई कभी नहीं आई है. अगर सफाई व्यवस्था अच्छी होगी तो और भी अधिक संख्या में सैलानी यहां पहुंचेंगे.
गंधक के पानी के स्रोत हुआ छोटा
सहस्त्रधारा देश-विदेश में अपने गंधक के पानी के प्राकृतिक स्रोत के लिए काफी प्रसिद्ध है. यही वजह है कि लाखों की संख्या में सैलानी गंधक के पानी में स्नान करने के लिए यहां का रुख करते हैं, लेकिन मौजूदा समय में गंधक के पानी का स्रोत बहुत छोटा हो गया है. जिसके चलते इस स्रोत में नहाने के लिए सैलानियों में होड़ मची रहती है. वहीं, कुछ सैलानी ऐसे भी हैं जो गंधक पानी को एकत्र करने के लिए बनी बाउंड्री के बाहर स्नान करते नज़र आते हैं. क्योंकि गंधक के पानी से नहाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं.
बहरहाल, सहस्त्रधारा के गंधक के पानी के प्राकृतिक स्रोत को संरक्षित करने की जरुरत हैं. क्योंकि मौजूदा समय में यहां गंधक के पानी के स्रोत की स्थिति बेहद खराब हो गयी है.जिससे आने वाले समय में भी सैलानी इस स्रोत में स्नान कर सके.