उत्तराखंड में वनाग्नि पर काबू पाना बड़ी चुनौती. देहरादून: उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए जहां वन विभाग इस बार ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहा है, तो वही जंगलों में आग की घटना की अधिक संभावना को देखते हुए इस बार बजट की भी विशेष व्यवस्था की जा रही है. राज्य में वनों की आग पर नियंत्रण पाने के लिए करीब 47 करोड़ की व्यवस्था की जा रही है, जिसमें पहली बार वर्ल्ड बैंक से भी बजट मिलने की उम्मीद है.
उत्तराखंड वन विभाग इस बार जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए एक बड़ा बजट खर्च करने जा रहा है. इसके तहत पहली बार वन विभाग ने वर्ल्ड बैंक से भी बजट को लेकर मदद लेने का फैसला लिया है. महकमे ने वर्ल्ड बैंक की एक योजना के तहत वनाग्नि के लिए 27 करोड़ की डीपीआर तैयार की है, जिसे पहले फेज में विभाग के स्तर पर बनाई गई कमेटी ने पास भी कर दिया है.
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इस तरह उत्तराखंड वन विभाग को वर्ल्ड बैंक से एक बड़ी रकम जंगलों में आग की घटनाओं के लिए मिलने जा रही है. दूसरी तरफ विभिन्न दूसरी विभागीय योजनाओं के तहत भी विभाग को बजट मिलने जा रहा है, इसमें राज्य सेक्टर की 2 योजनाओं में वनाग्नि के लिए बजट मौजूद है, दूसरी तरफ कैंपा के तहत भी विभाग को इसके लिए अलग बजट मिल रहा है.
इसके अलावा भारत सरकार की फॉरेस्ट फायर प्रीवेंशन मैनेजमेंट स्कीम के तहत भी विभाग को अलग से बजट मिला है. इस तरह इसमें कुल 20 करोड़ की राशि विभाग को मिली है. इस तरह कुल ₹47 करोड़ विभाग के पास जंगलों में आग बुझाने से जुड़े तमाम कार्यों के लिए मौजूद होंगे.
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वनाग्नि एवं आपदा विभाग को मिलने वाले इस बजट के जरिए वन विभाग फायर सेफ्टी से जुड़े तमाम इक्विपमेंट को अपग्रेड कर पाएगा. यही नहीं कर्मचारियों की ट्रेनिंग से लेकर आग बुझाने के उपकरण और चौकियों के बेहतर हालात को करने में यह बजट काम आएगा. उधर सैटेलाइट के जरिए मॉनिटरिंग का सिस्टम तैयार करने कम्युनिकेशन सिस्टम बढ़ाने और गाड़ियों की उपलब्धता जैसे कार्य भी इस वजह से हो सकेंगे.