उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

नई जल नीति के तहत विभागों की जिम्मेदारी तय, नहीं कर सकेंगे आनाकानी - new water policy

नई जल नीति के तहत अब सभी विभागों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है. अब विभाग अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट पाएंगे.

dehradun
नई जल नीति

By

Published : Feb 4, 2020, 6:16 PM IST

देहरादून: प्रदेश के तमाम इलाकों में हो रही पानी की किल्लत को देखते हुए राज्य सरकार ने पिछले साल दिसंबर में नई जल नीति जारी की थी. जिसमे पानी बचाने को लेकर जल से जुड़े तमाम विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, लेकिन कौन सा विभाग क्या काम करेगा इसका बंटवारा नहीं किया गया था. इसी सिलसिले में शासन ने विभागों के कामों का बंटवारा कर आदेश जारी कर दिया है. ऐसे में अब विभाग अपनी जिम्मेदारी से पीछे नही हट पाएंगे.

गौर हो कि पिछले साल 20 दिसंबर को राज्य सरकार ने नई जल नीति के तहत जल को बचाने के साथ ही तमाम अन्य प्रावधान किए थे, लेकिन विभागों को जिम्मेदारी नहीं सौंपने की वजह से जिम्मेदारी तय नही हो पायी थी. वहीं अब शासन ने नई जल नीति के तहत विभागों के कामों का बंटवारा कर दिया है. जिसके तहत जल संरक्षण, जल उपलब्धता और पानी की मात्रा बढ़ाने के काम में सभी विभागों को शामिल किया गया है.

विभागों की जिम्मेदारी तय

ये भी पढ़े: ऋषिकेश: प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से हो रही शराब की बिक्री, ETV Bharat ने खोली पोल

विभागों की तय की गई जिम्मेदारी

पेयजल विभाग - पीने का साफ पानी उपलब्ध कराना, भू-जल के दोहन पर नियंत्रित करना, ड्राई क्षेत्रों में इमरजेंसी प्लान बनाना, एसटीपी बनाना, सार्वजनिक क्षेत्रों में जल एटीएम को लगवाना, पंचायतों की भूमिका तय करना, सतह जल, प्राकृतिक स्रोत आदि का विकास, पानी के मीटर लगाना, पानी के अवैध इस्तेमाल होने पर जुर्माना लगाना.

सिंचाई विभाग - बांध, बैराज, झील के पानी का अधिकतम उपयोग, नहरों का रखरखाव, बाढ़ नियंत्रण का मास्टर प्लान, झील, तालाब आदि का सुधार, जल प्रवाह पर अतिक्रमण को हटाना, नदियों से उपखनिज की निकासी, जल प्रबंधन का प्रशिक्षण.

पर्यावरण संरक्षण बोर्ड - नदियों में न्यूनतम जल प्रवाह, उद्योगों द्वारा भू-जल के अनियंत्रित दोहन को रोकना, उद्योगों को अब स्पष्ट रूप से बताना होगा कि भू-जल रिचार्ज के लिए उन्होंने क्या किया, गंदे जल को नदियों में सीधे प्रवाहित होने से रोकने के उपाय.

कृषि एवं उद्यान- कम पानी में खेती, जैविक खेती को बढ़ावा, नदियों के किनारे वनीकरण, सूखे से प्रभावित क्षेत्रों का मास्टर प्लान.
वन विभाग- बांज, बुरांस आदि चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ों के पौधों को लगाना, रिजर्व वन क्षेत्रों में जल संचयन, नदियों को पुनर्जीवित करना.

ऊर्जा विभाग- हाइड्रो प्रोजेक्ट को प्रोत्साहित करना, घराटों का सुधार, सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप सेटों का उपयोग

विद्यालयी शिक्षा- जागरूकता योजनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करना.

उच्च शिक्षा- जल नीति एवं मौसम में बदलाव के आधार पर शोध एवं प्रशिक्षण

शहरी विकास विभाग - ड्रेनेज मास्टर प्लान

ग्राम विकास विभाग- गांवों का वाटर बजट तैयार करना

राजस्व विभाग या जिला प्रशासन- नदियों, झीलों, तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराना, विवाद समाधान समिति का गठन.

पंचायत विभाग - जल संरक्षण के लिए मनरेगा आदि में प्रावधान

नियोजन - जल संसाधन, प्राकृतिक स्रोतों की डिजीटल मैपिंग

ABOUT THE AUTHOR

...view details