देहरादूनःनियति का पासा ऐसा पलटा की कभी पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हंसी प्रहरी को हरिद्वार की गलियों में भीख मांगनी पड़ रही है. हंसी के नाम में बेशक 'हंसी' हो, लेकिन उसकी असल जिंदगी में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. अपने मासूम बेटे के साथ दर-दर भटक रही हंसी की मजबूरी को जब ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया तो शासन-प्रशासन से मदद के लिए हाथ आगे बढ़ने लगे हैं. सूबे की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य ने भी खबर का संज्ञान लिया है. उन्होंने आश्वस्त किया है कि वह जल्द से जल्द महिला तक हर संभव मदद पहुंचाएगी.
दरअसल, बीते दिन ईटीवी भारत ने हरिद्वार में भीख मांग रही हंसी प्रहरी की खबर को प्रमुखता से दिखाया था. खबर दिखाए जाने के बाद महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने भी मामले को गंभीरता से लिया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्य मंत्री रेखा आर्य ने हंसी प्रहरी की हालात पर गहरा दुख जताया है. उन्होंने आश्वस्त किया है कि वो जल्द से जल्द अपने विभागीय अधिकारी को हंसा प्रहरी तक पहुंचने को कहेंगी. साथ ही उनका प्रयास रहेगा कि हंसी को नारी निकेतन में ठहरने की जगह दी जाए और उनके बच्चे को भी शिशु सदन में रखा जाए. जहां बच्चे की बेहतर तरह से देखभाल हो सके. साथ ही बच्चे की पढ़ाई भी अच्छे से हो सके. उन्होंने कहा कि उनका पहला प्रयास हंसी को शारारिक और मानसिक रूप से मजबूत करना है.
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क्या है हंसी की कहानी
अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र के हवालबाग विकासखंड के अंतर्गत गोविंदपुर के पास रणखिला गांव निवासी हंसी बचपन से ही काफी मेधावी रहीं हैं. गांव से छोटे से स्कूल से पास होकर उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया. हंसी पढ़ाई लिखाई और दूसरी एक्टिविटीज में इतनी तेज थी कि साल 1998-99 और 2000 वह चर्चाओं में तब आई, जब कुमाऊं विश्वविद्यालय में छात्रा यूनियन की वाइस प्रेसिडेंट बनी. इसके साथ ही कुमाऊं विश्वविद्यालय से दो बार एमए की पढ़ाई अंग्रेजी और राजनीति विज्ञान में पास करने के बाद हंसी ने कुमाऊं विश्वविद्यालय में ही लाइब्रेरियन की नौकरी की. इसके बाद उन्होंने 2008 तक कई प्राइवेट जॉब भी कीं.