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पोस्टल बैलेट की गिनती अब आसान नहीं, देनी होगी 'अग्नि परीक्षा'

उत्तराखंड में सर्विस वोटर्स के मतों को गिनना इस बार आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती है. देश में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा बैलेट उत्तराखंड में होने के चलते राज्य निर्वाचन आयोग की परेशानी और भी बढ़ गयी है.

पोस्टल बैलेट की गिनती अब आसान नहीं

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Published : May 16, 2019, 4:48 PM IST

देहरादून:सर्विस मतदाताओं के पोस्टल बैलेट गिनना इस बार निर्वाचन आयोग के लिए आसान नहीं होगा. आयोग के नए नियमों के बाद सर्विस वोटर्स के बैलेट को QR कोड से गुजरना होगा, जिसके लिए आयोग ने प्रशिक्षित टीम को तैनात किया है. ETV Bharat इस रिपोर्ट के जरिए आपको बताएगा कि आखिर क्या है क्यूआर कोड और क्या है इसका फायदा ?

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सबसे पहले आपको बता दें कि आखिरकार QR Code होता क्या है ?

  • QR Code एक प्रकार के मैट्रिक्स बारकोड के लिए ट्रेडमार्क है.
  • आयोग ने QR Code का इस्तेमाल पोस्टल बैलट में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए किया है.
  • पोस्टल बैलट में इस बार 4 QR Code कोड को स्कैन किया जाएगा.
  • पहला QR Code पोस्टल बैलट के बाहर के कवर पर होगा. डिक्लेरेशन में दो QR Code कोड होंगे, चौथा और आखिरी QR Code अंदर के कवर पर होगा.

सबसे ज्यादा पोस्टल बैलेट पौड़ी लोकसभा सीट में है. इसलिए सबसे ज्यादा टेबल भी इसी लोकसभा में लगाई गई हैं. QR Code को स्कैन करने के लिए टेक्निकल टीम टेबल पर मौजूद रहेगी. इसके अलावा इस बार पोस्टल बैलेट की गिनती के लिए ईवीएम मशीनों की जगह से अलग व्यवस्था की गई है. एक पोस्टल बैलेट में चार क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद उस बैलेट की गिनती की जाएगी.

यह पहला मौका है जब चुनाव के दौरान पोस्टल बैलेट के लिए इतनी कड़ी प्रक्रिया को अपनाया जाएगा और इसमें तकनीकी रूप से सक्षम टीम को भी लगाया जाएगा. हर टेबल पर एक कंप्यूटर और स्कैन मशीन होगी जो प्रत्येक पोस्टल बैलट को चार बार स्कैन करेगी. यानी इस प्रक्रिया को बेहद कड़ा तो किया गया है लेकिन समय बचाने के लिए इसके लिए अधिकारियों की संख्या को भी बढ़ाया गया है.

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