बदरीनाथः शेषनाग के डर से राजनेता नहीं दिखा पाते थे हिम्मत, पीएम मोदी ने कर दिया वो काम
पीएम मोदी ने यह मिथक भी तोड़ दिया है कि कोई भी अतिविशिष्ट व्यक्ति बदरीनाथ धाम तक हेलीकॉप्टर से नहीं जाता. जिन्हें सुनकर राजनेता भगवान विष्णु के इस धाम में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे और अधिकतर पैदल यात्रा को ही महत्व देते रहे हैं.
देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिरकार सारी भ्रांतियों को दरकिनार करते हुए सेना के MI-17 विमान से बदरीनाथ धाम पहुंचे. पीएम मोदी ने हेलीकॉप्टर से बदरी विशाल के धाम पहुंचने का साहस दिखाया. साथ ही पीएम मोदी ने यह मिथक भी तोड़ दिया है कि कोई भी अतिविशिष्ट व्यक्ति बदरीनाथ धाम तक हेलीकॉप्टर से नहीं जाता. जिन्हें सुनकर राजनेता भगवान विष्णु के इस धाम में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे और अधिकतर पैदल यात्रा को ही महत्व देते रहे हैं.
मान्यता है कि बदरीनाथ धाम में नारायण पर्वत की चोटी को शेषनाग के रूप में मानी जाती है. माना जाता है कि इस क्षेत्र में साक्षात रूप से शेषनाग विराजमान हैं. क्योंकि बदरीनाथ मंदिर में अगर हेलीकॉप्टर से जाया जाता है तो हेलीकॉप्टर को लैंड करने से पहले मंदिर के ऊपर से होकर गुजरना पड़ता है. जिसका कोई विकल्प नहीं है कि हेलीकॉप्टर को बिना मंदिर के ऊपर ले जाये, हेलिकॉप्टर को लैंड किया जा सके और न ही वहां पर कोई ऐसा स्थान है जहां दूसरा हेलीपैड बनाया जा सके. इसलिए मिथक है कि जिस राजनेता ने हेलीकॉप्टर से इस मंदिर में पहुंचा उसे अपनी सत्ता गंवानी पड़ी. जिसमें देश के कई कद्दावर नेताओं के नाम शामिल हैं.
इन नेताओं को गंवानी पड़ी अपनी सत्ता
सत्ता खोने में सबसे पहला नाम पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का लिया जाता है. कहा जाता है कि इंदिरा गांधी हेलीकॉप्टर से बदरीनाथ आई थीं, जिसके बाद उन्हें सत्ता से दूर होना पड़ा. बदरीनाथ से जुड़ा है ये मिथक.इंदिरा गांधी इकलौती ऐसी राजनेता नहीं है जिनके कारण इस मिथक को बल मिला है. इस फहरिस्त में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी समेत वीर बहादुर सिंह, डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक, यूपी के पूर्व राज्यपाल सूरजभान और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी शामिल है. सूत्रों के मुताबिक, पिछले दिनों इसी मिथक को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कार्यक्रम में फेरबदल किया गया था और वो सड़क मार्ग से बदरीनाथ धाम पहुंचे थे.
वैसे सीएम योगी ने इस मिथक को तोड़ने की कोशिश की थी. लेकिन, विधानसभा उपचुनाव में योगी को उन्हीं के गढ़ में करारी हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में इस मिथक को और भी बल मिला है. बता दें कि प्रदेश में हुए उपचुनावों में सत्ताधारी भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. भाजपा तीन लोकसभा और एक विधानसभा उपचुनाव हार चुकी है. यही नहीं, योगी के गढ़ गोरखपुर में हुये उपचुनाव के साथ ही प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की फूलपुर सीट हो या कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा, यहां भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. अब पीएम मोदी द्वारा ये मिथक तोड़ने के बाद वो सत्ता खोते हैं या सत्ता में दोबारा काबिज होते हैं, ये देखना दिलचस्प होगा.