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कोरोना टेस्ट से बचने के लिए 'डग्गामार' का सहारा, उत्तराखंड परिवहन निगम को भारी नुकसान

कोविड टेस्टिंग से बचने के लिए यात्री डग्गामार बसों का सहारा ले रहे हैं. जिससे उत्तराखंड परिवहन को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है.

उत्तराखंड परिवहन को भारी नुकसान
उत्तराखंड परिवहन को भारी नुकसान

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Published : Jul 1, 2021, 10:09 PM IST

Updated : Jul 1, 2021, 10:56 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) की बसों में भले ही सौ फीसदी यात्री के साथ सफर करने की अनुमति मिल गई हो, लेकिन रोडवेज बसों का संचालन (operation of roadways buses) सुचारू होने के बावजूद यात्री कोविड-19 टेस्ट (covid-19 test)से बचने के लिए डग्गामार बसों (Duggamar Buses) का सहारा ले रहे हैं. जिसकी वजह से उत्तराखंड परिवहन विभाग को राजस्व का भारी नुकसान (huge loss of revenue) हो रहा है.

देहरादून से 175 रोडवेज बसों का संचालन

देहरादून आईएसबीटी (Dehradun ISBT) से दिल्ली, यूपी, हिमाचल और चंडीगढ़ के लिए करीब 175 से अधिक बसों का संचालन होता है. इसके बावजूद उत्तराखंड रोडवेज (Uttarakhand Roadways) की बसों में यात्रियों की कमी देखी जा रही हैं. ऐसे में कोविड टेस्टिंग से बचने के लिए यात्री द्वारा डग्गामार बसों का सहारा लेने का ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया.

ISBT में अधिकांश रोडवेज बसें खाली

देहरादून आईएसबीटी में खड़ी उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों (Uttarakhand Transport Corporation buses) के चालक परिचालक को सुबह से लेकर शाम तक यात्रियों का इंतजार रहता है, लेकिन आलम यह है कि अलग-अलग राज्यों को जाने वाली दर्जनों बसे खाली खड़ी हैं. बस चालकों के मुताबिक मुश्किल से दिन भर में 40 फीसदी से भी कम यात्री उत्तराखंड की बसों में सफर कर रहे हैं.

'डग्गामार' का सहारा

परिवहन निगम को घाटा

ऐसे में पहले से ही करोड़ों के घाटे से जूझ रहे परिवहन निगम को लगातार राजस्व का नुकसान हो रहा है. रोडवेज बस चालक और परिचालक की मानें तो इसकी मुख्य वजह कोरोना गाइडलाइन (corona guideline) के तहत यात्रियों का टेस्टिंग (testing of passengers) होना है. बता दें कि सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के तहत यात्रियों को सफर के लिए कोविड टेस्टिंग (covid testing) कराना जरूरी है. वहीं, दूसरी तरफ गाइडलाइन को दरकिनार कर ISBT के बाहरी इलाकों से दर्जनों डग्गामार बसें बिना कोविड-19 टेस्टिंग के ही यात्रियों को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल जैसे राज्यों में पहुंचा रहे हैं.

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RTO और पुलिस की मिलीभगत

ऐसे यात्री परिवहन की बसों को छोड़ डग्गामार बसों से सफर (Travel by Daggamar Buses)कर रहे हैं. रोडवेज अधिकारियों, चालक और परिचालक की माने तो परिवहन निगम को घाटा पहुंचाने का यह सारा खेल आरटीओ और पुलिस की मिलीभगत से चल रहा है. क्योंकि कई बार शासन प्रशासन को मामले से अवगत कराने के बावजूद इस पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा है.

परिवहन निगम को भारी नुकसान

डग्गामार बसों के एजेंट सक्रिय

प्रवीण बडोनी ने बताया कि आईएसबीटी के बाहर लगभग 50 से अधिक डग्गामार बसों के एजेंट सुबह से रात तक गुपचुप तरीके से यात्रियों को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल और हरियाणा अधिक किराया वसूल कर पहुंचा रहे हैं. इससे ना सिर्फ उत्तराखंड परिवहन निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार की कोरोना गाइडलाइंस का भी जमकर उल्लंघन हो रहा है. इसके बावजूद भी शासन प्रशासन कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है.

प्रतिदिन 250 यात्रियों का कोरोना टेस्टिंग

स्वास्थ्य चिकित्सा कर्मचारी (health medical staff) की माने तो पूरे दिन में लगभग 200 से 250 यात्रियों का रैपिड कोरोना टेस्ट किया जा रहा है. पहले यात्रियों के आधार कार्ड और उनके नाम पता का डिटेल रजिस्टर में दर्ज किया जा रहा है. वहीं, टेस्टिंग की रिपोर्ट 1 हफ्ते से अधिक समय के बाद दी जा रही है.

परिवहन निगम को 208 करोड़ का नुकसान

उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी अशोक चौधरी की माने तो 2020 मार्च से कोरोना महामारी (corona pandemic) के चलते पूरे बसों का सही से संचालन नहीं हो पा रहा है. जिससे 2020 में परिवहन निगम को 168 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा हुआ. वहीं 2021 में पिछले 6 महीनों में 40 करोड़ से अधिक का घटा निगम को हुआ है. उन्होंने कहा कि जब तक एक बस में 70 फीसदी यात्री सफर नहीं करते. तब तक बसों के संचालन का खर्चा निकालना मुश्किल होता है. कुमाऊं गढ़वाल से दिल्ली, यूपी सहित अन्य जगहों के लिए अभी तक 125 परिवहन निगम की बसों का संचालन किया जा रहा था, लेकिन आज से चंडीगढ़ रूट खुलने की से 50 अतिरिक्त बसों का संचालन मार्ग पर किया जा रहा है.

Last Updated : Jul 1, 2021, 10:56 PM IST

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