देहरादून:उत्तर नाट्य संस्थान और संस्कृति विभाग उत्तराखंड के संयुक्त तत्वाधान में गांधी जयंती के अवसर पर एक नाटक की कार्यशाला का प्रारंभ किया गया. कार्यशाला के अंत में आयोजकों ने नमक सत्याग्रह दांडी से खाराखेत का मंचन किया.
नाटक नमक सत्याग्रह दांडी से खाराखेत के मंचन की जानकारी देते हुए प्रसिद्ध रंगकर्मी निवेदिता बौठियाल ने बताया कि महात्मा गांधी के दांडी मार्च में देहरादून के युवा आंदोलनकारी खड़क बहादुर बिष्ट भी शामिल थे. गांधीजी के सुझाव पर खड़क बहादुर ने देहरादून लौटकर यहां के आंदोलनकारियों से संपर्क किया था. इसके बाद उन्होंने 20 अप्रैल से 7 मई 1930 तक देहरादून के दर्जनों आंदोलनकारियों के साथ 6 दस्तों में खाराखेत गांव में स्थित नून नदी के किनारे इसके नमकीन पानी से नमक बनाया था. जिसे नगर पालिका देहरादून के प्रांगण में सार्वजनिक तौर पर बेचा गया था. हालांकि, बाद में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें 6 महीने की सजा हुई थी. ये गढ़वाल और कुमाऊं का प्रमुख आंदोलन था. उसका विस्तृत विस्तृत अध्ययन कर इस नाटक का आलेख तैयार किया गया है.
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