देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दिल्ली दौड़ पिछले कुछ समय से ज्यादा देखने को मिल रही है. जुलाई महीने में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तीन बार दिल्ली दौरे पर गए, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कई केद्रीय मंत्रियों के साथ ही संगठन के बड़े नेताओं से भी मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इन मुलाकातों के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं.
दिल्ली में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पीएम मोदी से मुलाकात की. जुलाई महीने में हुई लगातार मुलाकातों को मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक स्तर पर होने वाले बदलावों से जोड़कर भी देखा जा रहा था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. वहीं, अब एक बार फिर से 19 अगस्त से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर हैं, जिसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. उत्तराखंड राजनीतिक गलियारों में भी इनके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं.
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली दौरों पर उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का कहना है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के लिए अब दिल्ली दूर नहीं रहा है और दिल्ली से काफी नजदीकियां मुख्यमंत्री के रूप में बढ़ गई हैं. इसके पीछे कई सारे कयास लगाए जा सकते हैं.
मुख्यमंत्री की दिल्ली दौड़ की बड़ी वजहें
डेढ़ लाख करोड़ की केंद्रीय योजनाएं: उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य जिसके पास सीमित संसाधन हैं, ऐसे राज्य की दिल्ली पर निर्भरता बेहद ज्यादा है तो वहीं दिल्ली के दृष्टिकोण से देखें तो केंद्र सरकार की उत्तराखंड में डेढ़ लाख करोड़ की तमाम योजनाएं चल रही हैं. ऐसे में इन योजनाओं को लेकर अगर छोटा सा भी डिस्कशन करना हो, तो वह दिल्ली से ही संभव हो पाता है. ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बार-बार दिल्ली जाने की एक बड़ी वजह मानी जा रही है.
भाजपा संगठन की बदली कार्यप्रणाली: पिछले कुछ सालों में भाजपा संगठन की कार्यप्रणाली में भी बेहद बदलाव आए हैं. संगठन स्तर के फीडबैक और मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेशों में किए जाने वाले कार्यों को लेकर दिल्ली रिपोर्टिंग ज्यादा बढ़ गई है. यही वजह है कि आए दिन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को दिल्ली आला कमान को रिपोर्ट सौंपनी होती है. इसके अलावा बीजेपी के केंद्रीय संगठन की ओर से भी समय-समय पर राज्यों के लिए टास्क दिए जाते हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री को अपने राज्यों में धरातल पर उतारना होता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि संगठन स्तर पर भी लगातार सामंजस्य बैठाने के लिए मुख्यमंत्री की दिल्ली दौड़ जारी है.
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यूसीसी का होमवर्क भी एक बड़ी वजह: बीजेपी यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट मामले में उत्तराखंड को एक प्रयोगशाला के रूप में देख रही है, जिसका असर आगामी चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा. इन चुनावों के परिणाम ही यूसीसी के भविष्य को निर्धारित करेंगे.
उत्तराखंड में भले ही यूसीसी ड्राफ्ट तैयार बताया जा रहा हो, लेकिन यूसीसी से जुड़े तमाम विषयों को लेकर समय-समय पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को मंथन की आवश्यकता हो सकती है. इसके अलावा यूसीसी को लेकर बीजेपी नेताओं के मन में भी कई सवाल हैं, इसीलिए तमाम समस्याओं का हल ढूंढने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार दिल्ली का दौरा कर रहे हैं.