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9 सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का धरना, सरकार को दी चेतावनी

जूनियर हाईस्कूल शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर शिक्षा निदेशालय में धरना दिया. शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही सरकार ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो उग्र आंदोलन करेंगे.

शिक्षक संघ का घरना

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Published : Jun 19, 2019, 7:36 AM IST

देहरादून:उत्तराखंड जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने 9 सूत्रीय मांगों को लेकर मोर्चा खोल दिया है. प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए सैकड़ों शिक्षकों ने ननूरखेड़ा स्थित शिक्षा निदेशालय में एक दिवसीय सांकेतिक धरना देकर अपना रोष व्यक्त किया है.

शिक्षक संघ का घरना

शिक्षकों का कहना था कि बीती 27 मई को सरकार द्वारा एक शासनादेश जारी किया गया था जो कि शिक्षक विरोधी शासनादेश है. दरअसल, प्रदेश में जूनियर हाई स्कूल का एकीकरण किया जा रहा है और जूनियर हाई स्कूल के शिक्षकों के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिसकी वजह से करीब चार हजार शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं. शिक्षकों का आरोप है कि सरकार के इस फरमान से जूनियर कैडर तो खत्म होगा ही लेकिन जूनियर हाई स्कूल में कार्य शिक्षक कहां जाएंगे.

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जूनियर हाई शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने कहा कि प्रदेश गठन के 19 वर्षों बाद भी सरकार शासन सुधरी शैक्षणिक ढांचा नहीं दे पाई है. बल्कि, ठीक उसके विपरीत बिना सेवा शर्तों और नियमों तथा प्रारंभिक शिक्षकों की पदोन्नति अवसरों को खत्म कर बीती 27 मई को उच्चीकरण के नाम पर जूनियर हाई स्कूल के शिक्षकों को एक तरफा हटाए जाने का फरमान जारी कर दिया है. जिसका संघ घोर विरोध करता है.

शिक्षकों का कहना है कि संघ निरंतर सरकार और शासन से छात्र और शिक्षक हितों की मांग उठाता आ रहा है. साल 2011 में भाजपा के शासनकाल के दौरान प्रदेश के शैक्षणिक ढांचे के संबंध में शासन द्वारा उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था. जिसके तहत 8 राज्यों का ध्यान करके प्रदेश को संस्तुति प्रेषित की गई थी. इसके साथ ही प्रदेश में करीब डेढ़ हजार जूनियर विद्यालयों का राजनैतिक स्तर पर उच्चीकरण किया गया.

प्रारंभिक शिक्षकों के इस तरह घटते पदोन्नति अवसरों के मध्य नजर जूनियर का कक्षा 9 और 10 में उच्चीकरण करने पर प्रारंभिक संवर्ग के शिक्षकों को ही इन विद्यालयों में पदस्थापना का निर्णय शासन द्वारा लिया गया. शासन ने इसे भी निरस्त कर दिया जिससे प्रदेश के शिक्षकों में भारी आक्रोश है.

शिक्षकों की प्रमुख़ मांगें

  • बिना सेवा शर्तों और नियमों के उच्चीकरण के नाम पर जूनियर शिक्षकों को एकतरफा हटाए जाने का विरोध करते हुए बीती 27 मई 2019 को जारी शासनादेश को तुरंत निरस्त किया जाए.
  • शासन वित्त की रिपोर्ट के अनुसार भारी-भरकम अलग-अलग शिक्षा निदेशालय को प्रदेश हित में एकीकरण और विलय किया जाए.
  • प्रदेश के छात्र -शिक्षकों के हितों में सुदृढ़ शैक्षिक ढांचे को लागू किया जाए.
  • 17140 वेतनमान लागू किया जाए, जिससे 5 से 6 हजार शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं. जबकि शासनादेश जारी होने के बावजूद यह वेतनमान लागू नहीं किया गया.

जूनियर शिक्षकों की शासन को चेतावनी
प्रदेशभर से आए शिक्षक प्रतिनिधियों ने सरकार से एक स्वर में मांग करी की जूनियर शिक्षक विशुद्ध रूप से प्रदेश के छात्र और शिक्षक हितों में आंदोलनरत हैं. उनकी मांगों का सरकार ने शीघ्र ही निराकरण नहीं किया तो आगामी 25 जून को राजधानी में महारैली के माध्यम से हजारों शिक्षक सड़कों पर उतरेंगे और उसके बाद की संपूर्ण जिम्मेदारी शासन और विभाग की होगी.

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