देहरादूनःव्हाट्सअप पर सुप्रीम कोर्ट के जज की डीपी यानी फोटो लगाकर धोखाधड़ी करने वाले दो शातिर पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं, लेकिन उनके गुनाहों की फेहरिस्त काफी लंबी है. इतना ही नहीं एक आरोपी तो उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड के सरकारी अधिकारियों को 22 सालों तक अपनी उंगलियों पर नचाता रहा. साथ ही खुद को जज बताकर आला अधिकारियों के आंखों में धूल झोंक कर ठगी करता रहा.
बता दें कि बीते दिनों देहरादून में सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की फोटो अपने व्हाट्सएप डीपी में लगा कर उत्तराखंड सचिवालय में ठगी करने के आरोप में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था. जिसमें आरोपी मनोज कुमारके जुर्म की कहानी तो काफी लंबी है. साल 1999 से ही मनोज ने ठगी करनी शुरू कर दी थी. महज 12वीं पास करने के बाद से ही उसने दिल्ली के चाणक्यपुरी शांति पथ में स्थित अलग-अलग विदेशी दूतावास (Embassy) से अपनी ठगी का गोरखधंधा शुरू किया.
जांच एजेंसियों के मुताबिक, मनोज कुमार ने साल 1999 में विदेशों में वीजा लगाने के नाम पर रुपए कमाने का धंधा चालू किया. जब उसे पता चला कि हाई प्रोफाइल कंपनी और बड़े-बड़े संस्थानों के कर्मचारी व अधिकारी को किसी भी दूतावास से वीजा मिलने में प्राथमिकता मिलती है तो ऐसे में उसने नामी-गिरामी कंपनियों के लेटर हेड छपवाए. इतना ही नहीं आवेदकों से मोटी रकम वसूल कर खुद ही उन पर लेटर तैयार कर एंबेसी में जमा कराए. ऐसा करने से एक के बाद एक लोगों को जल्दी-जल्दी वीजा मिलने लगा.
मनोज कुमार का यह खेल साल 1999 से 2003 तक चलता रहा. हालांकि, उसके बाद कुछेक एंबेसी को इस तरह के विषयों पर शक होने लगा. जिसके बाद इसकी शिकायत चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन और इंटेलिजेंस को लिखित रूप में दस्तावेजों के साथ दी गई. दिल्ली पुलिस की जांच एजेंसियों ने इस मामले की जांच की और मनोज के इस गोरखधंधे का खुलासा किया.
जेल के अंदर से भी कराता रहा फर्जी कामःवहीं, अलग-अलग एंबेसी की शिकायतों पर कई मुकदमे दर्ज किए गए थे. ऐसे में उसे गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया. इसके बावजूद भी वो बाज नहीं आया और कई बार जेल के अंदर होने पर भी नए तरीकों से एंबेसी में फर्जी काम कराए. साल 2005 तक वो इसी फर्जीवाड़े में जेल जाता रहा और बाहर आता रहा.
पान मसाला कंपनी के नाम पर शुरू हुआ ठगी का असली खेलःदिल्ली चाणक्यपुरी एंबेसी में वीजा लगाने के फर्जीवाड़े का काम जगजाहिर होने के बाद मनोज कुमार ने ठगी में इतनी महारत हासिल कर ली थी कि उसने बड़े-बड़े अधिकारियों और जिलाधिकारियों समेत नेताओं के साथ अपने गठजोड़ बढ़ाए. बताया जा रहा है कि साल 2015 में उसने पुरवाई पान मसाला प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और पूर्वी प्रोडक्शन कंपनी से नया से फर्जीवाड़े का धंधा शुरू किया.