देहरादून:उत्तराखंड की फेमस बाल मिठाई एक बार फिर से चर्चाओं में है. इसकी चर्चा का कारण पीएम मोदी और भारतीय बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन हैं. आज भारतीय बैडमिंटन के उभरते सुपरस्टार लक्ष्य सेन ने पीएम मोदी से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी को उत्तराखंड की फेमस बाल मिठाई भेंट की. पीएम मोदी ने थॉमस कप जीतने के बाद लक्ष्य सेन से बात करते हुए उन्हें बाल मिठाई खिलाने की बात कही थी, जिसके बाद आज जब लक्ष्य सेन पीएम मोदी से मुलाकात करने पहुंचे तो वे पीएम मोदी के लिए बाल मिठाई लेकर पहुंचे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज थॉमस कप बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय टीम के खिलाड़ियों से मुलाकात की. इस दौरान उत्तराखंड के उभरते सुपरस्टार लक्ष्य सेन से पीएम मोदी को उनकी मनपंसद मिठाई भेंट की, जिसके लिए पीएम मोदी ने लक्ष्य सेन को कहा था.
PM मोदी को भेंट की अल्मोड़ा की बाल मिठाई. पढ़ें- थॉमस कप विजेताओं से मिले PM मोदी, कहा- जज्बा लेकर हमें आगे बढ़ना है भारत की ऐतिहासिक जीत: भारत की तरफ से लक्ष्य सेन ने इंडोनेशिया के एंथनी गिनटिंग को 21-8 17-21 16-21 से हराकर टीम को 1-0 की अहम बढ़त दिलाई. इसके बाद डबल्स में भारत की सात्विक और चिराग की जोड़ी ने धमाकेदार खेल दिखाते हुए 18-21, 23-21, 21-19 से जीत हासिल कर टीम को 2-0 की बढ़त दिलाई. फिर तीसरे मैच में के श्रीकांत ने जोनाथन को सीधे गेम में 21-15, 23-21 से हराकर टीम को 3-0 की बढ़त दिलाते हुए ऐतिहासिक जीत दिला दी.
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कौन हैं लक्ष्य सेन: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में 16 अगस्त, 2001 को पैदा होने वाले लक्ष्य सेन अब तक स्पेन में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीत चुके हैं. तो वहीं, जर्मन ओपन में सिल्वर मेडल, आल इंग्लैंड टूर्नामेंट में सिल्वर, दिल्ली में हुए इंडिया ओपन में गोल्ड मेडल और थॉमस कप में टीम को गोल्ड मेडल मिला है.
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बाल मिठाई की खासियत: बाल मिठाई की नगरी और अल्मोड़ा दोनों शब्द एक दूसरे के पूरक कहे जा सकते हैं. इस मिठाई की डिमांड विदेशों में बसे भारतीय करते रहते हैं. बाहर से आने वाले पर्यटक वापस लौटते समय अल्मोड़ा की बाल मिठाई ले जाना नहीं भूलते हैं. शुद्ध खोये से बनी इस मिठाई की एक खासियत यह है कि यह मिठाई जल्द खराब नहीं होती है.ऐसे तैयार होती है बाल मिठाई: मिठाई बनाने के लिए खोया, चीनी, खसखस और पानी की आवश्यकता होती है.
खोया जिसे मावा भी कहा जाता है, उसे एक कड़ाई में डाल कर खूब पकाया जाता है. फिर उसमें चीनी मिलाई जाती है. जब तक मावे का रंग भूरा नहीं हो जाता तब तक इसे पकाया जाता है. फिर उसे ट्रे में ठंडा होने तक रखा जाता है. ठंडा होने के बाद उसे चाकू की मदद से काट कर छोटे-छोटे पीस बना दिए जातें है. फिर चीनी की चासनी में पीस बनाकर छाना जाता है. उसके बाद उसको एक बर्तन में ठण्डा करके आयताकार टुकड़ों में काटा जाता है. फिर पोस्त यानि खसखस और चीनी को मिलाकर छोटे छोटे बाल दाने तैयार किए जाते हैं.
150 साल पुराना है मिठाई का इतिहास:इस मिठाई का इतिहास डेढ़ सौ साल से अधिक पुराना है. अल्मोड़ा में बाल मिठाई के अविष्कारक हलवाई स्वर्गीय जोगा लाल शाह माने जाते हैं. जोगा लाल शाह ने 1857 में इस मिठाई का निर्माण ब्रिटिश शासन काल में शुरू किया था. धीरे धीरे इस मिठाई ने अपनी पहचान बनानी शुरू की. उन दिनों ब्रिटिश भी यहां की मिठाई को पसंद करते थे. वे बाल मिठाई को पानी के जहाजों के माध्यम से इंग्लैंड ले जाते थे. आज यह मिठाई न केवल अपने देश में प्रसिद्ध है, बल्कि विदेशों में भी आज अपनी पहचान बना चुकी है.