देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की घोषणा से ठीक पहले कांग्रेस प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी ही पार्टी के संगठन पर सहयोग न करने का जो बड़ा आरोप लगाया, उस पर अब वो कुछ भी कहने के बच रहे है. हरीश रावत ने मीडिया के सवालों पर सिर्फ इतना ही कहा कि वे इस समय का आनंद लें. हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि समय पर आने पर वो इसका जवाब देंगे.
दरअसल, हरीश रावत ने बुधवार को एक ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस हाईकमान पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि संगठन सहयोग की बजाय नकारात्मक भूमिका निभा रहा है. निराशा जाहिर करते हुए उन्होंने ये तक कह दिया कि उन्हें महसूस हो रहा है कि अब विश्राम का वक्त आ गया है.
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वहीं जब हरीश रावत से इसको लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि "जब समय आएगा, तो मैं आपको कॉल करूंगा और इसे आपके साथ साझा करूंगा अभी के लिए आप आनंद लें. बता दें कि हरीश रावत उन चुनिंदा नेताओं में से है, जो सोशल मीडिया पर बेबाकी से अपनी बात रखते है. बुधवार दोपहर को रावत की फेसबुक और टवीटर पर की गई एक पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. इस पोस्ट के सियासी गलियारों में अलग-अलग मायने भी निकाले जाने लगे हैं.
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वहीं उनकी इस पोस्ट को कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. क्योंकि कई महीनों पहले हरीश रावत ने कहा था कि पार्टी हाईकमान को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सीएम के चेहरा घोषित करना चाहिए. लेकिन कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव इसे नाकार दिया था. आलाकमान ने हरीश रावत की मांग को खारिज करते हुए सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही थी. माना जा रही है कि तभी से हरीश रावत नाराज चल रहे है.
हरीश रावत का पोस्ट-
चुनाव रूपी समुद्र है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है'. 'जिस समुद्र में तैरना है, जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है'. चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है, 'न दैन्यं न पलायनम. बड़ी उहापोह की स्थिति में हूं, नया साल शायद रास्ता दिखा दे. मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे. सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं, जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है'.