देहरादून:उत्तराखंड में बीजेपी सरकार बहुमत का एक्ट्रा डोज लेकर सत्तासीन है. वहीं, बात अगर विपक्ष की करें तो वो इन पांच सालों में सड़क से सदन तक गायब ही नजर आया है. हालांकि, कभी कभार धरना प्रदर्शन, विरोध के नाम पर बंद कमरों से प्रीतम सिंह, इंदिरा हृदयेश के बयान सामने जरूर आते रहते हैं. वहीं, इस बीच कांग्रेस में एक चेहरा ऐसा भी है जो 70 साल की उम्र में भी 35 साल के कार्यकर्ता की तरह सड़कों पर खुलकर सरकार के खिलाफ खड़ा होता है. सोशल मीडिया से लेकर सत्ता के गलियारों तक छाये रहने वाले इस चेहरे का नाम है हरीश रावत.
हरीश रावत उत्तराखंड राजनीति का वो पन्ना है जिसे पढ़े बिना कभी प्रदेश के सियासी समीकरणों को नहीं समझा जा सकता है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत का कद इन दिनों उत्तराखंड की राजनीति में सबसे बड़ा है. बीजेपी हो या कांग्रेस कोई भी नेता हरदा के आस-पास तक नहीं दिखाई देता है. हरदा को भी शायद इस बात का एहसास है तभी तो वे हमेशा ही वन मैन आर्मी की तरह त्रिवेंद्र सरकार को घेरने में लगे रहते हैं. हरदा अपने राजनीतिक अनुभव और जमीनी जुड़ाव की कला से उत्तराखंड की राजनीति में अकेले ही विपक्ष के रूप में खड़े दिखाई देते हैं.
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2022 का चुनाव होगा बीजेपी V/S हरीश रावत
उत्तराखंड की राजनीति में हरीश रावत से बड़ा चेहरा शायद ही कोई होगा. दरअसल, लंबे अनुभवी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश रावत उम्र-दराज होने के बावजूद भी एक नौजवान युवा की तरह ही तमाम कार्यक्रमों को अंजाम तक पहुंचाने में जुटे रहते हैं. यही नहीं, कभी राज्य सरकार और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में तो कभी जनहित के मुद्दों को लेकर हरीश रावत आगे ही नजर आते हैं. सत्ता दल के नेता भले ही हरीश रावत को कुछ भी कहें पर मानते वो भी हैं कि विपक्ष के तौर पर सिर्फ हरीश रावत ही उन्हें टक्कर दे सकते हैं. जानकारों की मानें तो साल 2022 में होने वाले विधानसभा के चुनाव में उत्तराखंड में बीजेपी V/S कांग्रेस की जगह बीजेपी V/S हरीश रावत का चुनाव होगा.
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उत्तराखंड कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हैं हरीश रावत
सियासी मामले के जानकार जय सिंह रावत ने बताया कि हरीश रावत, कांग्रेस में ऐसा चेहरा हैं जो कांग्रेस की पहचान बयां करने के लिए काफी हैं. हालांकि कांग्रेस के अन्य प्रदेश स्तरीय नेता इतने सक्रिय नजर नहीं आते, जितने कि हरीश रावत. हम कह सकते हैं कि 72 साल के नौजवान हरीश रावत आज भी पार्टी की रीति- नीति को तेज रफ्तार से आगे बढ़ाने की कोशिशों में एक युवा कार्यकर्ता की तरह लगे हैं. यही वजह है कि सत्ताधारी बीजेपी के निशाने पर कोई और कांग्रेसी नेता नहीं बल्कि हरीश रावत ही रहते हैं. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरीश रावत की लोकप्रियता उत्तराखंड में आखिर किस स्तर की है.
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कोरोना काल में सड़कों पर हरदा
वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में जहां विपक्ष के नेता बंद कमरों में बयान जारी कर खाना पूर्ति कर रहे हैं. वहीं, ऐसे समय में हरीश रावत खुलकर जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं. हरदा केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए नये-नये तरीकों से सरकारों को तेवर दिखा रहे हैं. कभी बैलगाड़ी, तो कभी मोड़े पर राजभवन के बाहर युवा नेता की तरह बैठकर अनशन, तो कभी आम की वर्चुअल रैली. ये हरदा के वे सभी यूनिक आइडिया हैं जिनसे हमेशा ही सत्ता पक्ष बैकफुट पर रहता है. खुद पर हुए मुकदमों को भी हरदा सत्ता पक्ष के खिलाफ ऐसे हथियार के तौर पर प्रयोग करते हैं, जिससे उनके विरोधियों की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं. कोरोना काल में हरदा के विरोध करने का तरीका, कार्यकर्ताओं से उनका जुड़ाव ही उनकी असली जमीन है. कोरोना काल के दौरान हरीश रावत 200 से अधिक वर्चुअल संबोधन कर रहे हैं.