उत्तराखंड

uttarakhand

कैसे रुकेगा प्रदेश में कृषि भूमि का कटाव ? जानिए, क्या कह रहे वैज्ञानिक

By

Published : Jul 27, 2020, 11:48 AM IST

Updated : Jul 28, 2020, 6:04 AM IST

उत्तराखंड में तेज बारिश के दौरान कृषि भूमि का कटाव होने से किसानों को और कृषि भूमि को नुकसान हो रहा है. सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए तैयारियां की हैं. वहीं, भू-वैज्ञानिक डीपी डोभाल का कहना है भूमि कटाव को रोकने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने और गहन अध्ययन की जरूरत है.

soil erosion news
उत्तराखंड भूमि कटाव न्यूज

देहरादून:उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. यही वजह है कि आपदा के समय कृषि भूमि को काफी नुकसान पहुंचता है. वहीं, मॉनसून के सीजन के दौरान आपदा जैसी स्थिति बन जाती है और कृषि भूमि का कटाव शुरू हो जाता है. इससे किसानों को और उनकी फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में मॉनसून सीजन के दौरान कृषि भूमि के कटाव को रोकने के लिए राज्य सरकार क्या कुछ व्यवस्थाएं कर रही है, कैसे इस पर रोक लगेगी और क्या हैं मौजूदा हालात ? देखिए स्पेशल रिपोर्ट...

कैसे रुकेगा प्रदेश में कृषि भूमि का कटाव ?

उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में कृषि मुख्य भूमिका निभाता है, क्योंकि राज्य की 70 फीसदी ग्रामीणों की आय का मुख्य साधन कृषि ही है. सतत विकास लक्ष्य (SDG) के तहत कृषि को मुख्य रूप से SDG-2 में रखा गया है. क्योंकि सतत विकास लक्ष्यों में भी कृषि का प्रत्यक्ष रूप से योगदान है. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य स्थापना के समय कृषि का क्षेत्रफल 7.70 लाख हेक्टेयर था, जो अब घटकर 6.72 हेक्टेयर रह गया है. इसके साथ ही राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों में केवल 13 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्रों में 94 प्रतिशत सिंचित क्षेत्रफल है.

प्राकृतिक आपदा में कृषि भूमि को पहुंचा नुकसान

प्राकृतिक आपदा में कृषि भूमि को पहुंचा नुकसान.

गधेरों और नालों को पुनर्जीवित करने की जरूरत- वैज्ञानिक

इस मुद्दे पर भू-वैज्ञानिक डीपी डोभाल का कहना है कि सबसे पहले ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है. साथ ही प्रदेश में जितने भी गधेरे और नाले सूख गए हैं, उनको पुनर्जीवित करने की जरूरत है, ताकि इनमें पानी का बहाव बना रहेगा, तो पानी इधर-उधर नहीं बहेगा.

ये भी पढ़े- सोनू सूद ने चंद घंटों में पूरा किया वादा, किसान के घर पहुंचाया ट्रैक्टर

ग्रामीणों को जागरूक करने की जरुरत- वैज्ञानिक

भू-वैज्ञानिक डीपी डोभाल का मानना है कि पहाड़ के ग्रामीण या फिर नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को भूमि कटाव के प्रति जागरूक करना होगा, ताकि पानी का सही ढंग से उपयोग कर सकें. उन्होंने कहा कि अगर सरकार पहल करे तो कृषि भूमि की क्षति को बचाया जा सकता है. डोभाल ने कहा कि पानी का उपयोग करने और कृषि भूमि का कटाव रोकने से बचा जा सके, इस पर गहन अध्ययन करने की जरूरत है.

चेक डैम बनाकर और वृक्षारोपण कर रोका जा रहा है भूमि कटाव

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने का कहना है कि उत्तराखंड राज्य में कृषि भूमि कटाव का इतना बड़ा मामला नहीं है. हालांकि, यह मामला राजस्व से जुड़ा हुआ है. पिछली सरकार में भी बड़ी कोशिश की थी, जिसके तहत ₹2.5 हजार प्रति एकड़ की जो मदद थी, उसे बढ़ाकर ₹5 हजार प्रति एकड़ कर दिया है. यही नहीं, भूमि के कटाव को रोकने के लिए मनरेगा के तहत कई जगहों पर चेक डैम बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही वृक्षारोपण पर भी बढ़ावा दिया जा रहा है, क्योंकि वृक्षारोपण कर भूमि कटाव को रोका जा सकता है. लिहाजा, भूमि कटाव को रोकने के उपाय पर राज्य सरकार लगातार पहल कर रही है.

ये भी पढ़ें- राम नाम जप जापकहि तुलसी अभिमत देत...आज है गोस्वामी तुलसीदास की जयंती

नाबार्ड के तहत कराए जा रहे हैं बाढ़ नियंत्रण के कार्य

वहीं, सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता मुकेश मोहन ने बताया कि प्रदेश में जिस जगह बाढ़ आने के चलते कृषि भूमि का कटाव हो रहा है, उन जगहों के लिए बाढ़ सुरक्षा योजना बनाई गई है. जिसे नाबार्ड और भारत सरकार को प्रस्ताव भेजकर स्वीकृत कराया जा रहा है. साथ ही बताया कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य सीमित संसाधनों सिमटा हुआ है, लिहाजा सिंचाई विभाग भी इसका खामियाजा भुगत रहा है.

मॉनसून सीजन में बाढ़ के लिए10 करोड़ का प्रावधान

मुकेश मोहन ने बताया कि मैदानी क्षेत्रों में जिन नदियों में बहुत ज्यादा सिल्ट जमा हो जाती है, उस वजह से मॉनसून सीजन के दौरान पानी का लेवल बहुत अधिक बढ़ जाता है. फिलहाल विभाग अभी सिल्ट हटाने का काम कर रहा है, ताकि पानी का बहाव बना रहे और बाढ़ से राहत मिले. उन्होंने कहा कि जब बाढ़ से राहत मिलेगी, तो कृषि भूमि कटाव भी नहीं होगा.

साथ ही बताया कि हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, मुनस्यारी समेत तमाम ऐसे पहाड़ी क्षेत्र भी हैं, जो बाढ़ के प्रति संवेदनशील हैं. इन जगहों पर बाढ़ चौकियां बनाई गईं हैं. साथ ही सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं. इससे पहले भी तमाम बड़ी योजनाएं संचालित की जा चुकी हैं, जिससे बाढ़ से काफी राहत मिली है. फिलहाल, मॉनसून सीजन के लिए ₹10 करोड़ का प्रावधान किया गया है.

Last Updated : Jul 28, 2020, 6:04 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details