देहरादून: विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखने वाली देहरादून स्थित भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (FRI) के ऐतिहासिक भवन में 2 दशक पहले आई दरार को भरने की कवायद शुरू कर दी गई है. 1999 चमोली में आए 6.6 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के दौरान FRI बिल्डिंग के एक हिस्से में दरारें आई थीं. हालांकि ब्रिटिश काल में तैयार हुआ यह ऐतिहासिक भवन 1929 में शैली ग्रीक रोमन और औपनिवेशिक तकनीक से निर्माण होने के कारण आज भी काफी हद तक मजबूती से खड़ा है, लेकिन अब FRI के जिस हिस्से में 22 साल पहले भूकंप के चलते दरारें आई थीं, उसे दुरुस्त करने का निर्माण कार्य केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) (रुड़की) द्वारा प्रारंभ किया जा रहा है.
वन अनुसंधान केंद्र FRI से मिली जानकारी के मुताबिक इसके लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 16 करोड़ 86 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं. दरारों को भरने के कार्य के लिए पहले चरण में सीपीडब्ल्यूडी को 2 साल का समय दिया गया है. जिसमें उसे 2 करोड़ रुपए तत्काल और तीन करोड़ रुपए जल्द ही निर्माण भुगतान के रूप में जारी किए जा रहे हैं.
ईटीवी भारत ने दिखाई थी ग्राउंड रिपोर्ट:बता दें ईटीवी भारत ने साल 2019 देहरादून स्थित भारतीय वन अनुसंधान भवन में आई दरारों की मरम्मत को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट की थी. उस वक्त संस्थान विशेषज्ञ और उच्च पदाधिकारियों द्वारा जल्द ही दरारों को विशेष तकनीक केंद्रीय इंजीनियरों के माध्यम से मरम्मत कराने की बात कही गई थी.
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30 मीटर से अधिक भवन के हिस्से में दरारें:भारतीय वन अनुसंधान एफआरआई के मुताबिक भवन के पिछले हिस्से में 1999 में चमोली में आए भूकंप के दौरान काफी लंबी-लंबी दरारें आई थीं. इसके साथ ही FRI की बिल्डिंग के कुछ अन्य हिस्सों में भी हल्की दरारें आईं. भवन के मुख्य हिस्से के पीछे लगभग 12 से 14 मीटर मोटाई और तकरीबन 30 मीटर की लंबाई में यह दरारें आई हैं. जिन्हें मरम्मत करने का कार्य केंद्रीय कार्य संस्था सीपीडब्ल्यूडी द्वारा शुरू किया जा रहा है.