देहरादून: उत्तराखंड में ऐसी बहुत सारी योजनाएं हैं, जो सीधे-सीधे आम लोगों से जुड़ी हुई हैं. निर्बल और गरीब वर्ग को लाभ देने के मकसद से कुछ योजनाएं राज्य सरकार चला रही हैं, तो कुछ के लिए केंद्र सरकार धन आवंटित करती है. चिंता की बात ये है कि उत्तराखंड में जनकल्याणकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं. सैकड़ों शिकायतों के बीच कई मामलों में जांच में ये साफ हो चुका है कि अपात्र लोगों को योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, तो कई जगह अधिकारी भी इनका फायदा उठा रहे हैं. आपको आज हम बताएंगे इन घपलों की चाभी आखिर क्या है-
दरअसल, गड़बड़ियों और घपले की शुरुआत सबसे पहले प्रमाण-पत्र से होती है. जिसके जरिए योजनाओं का लाभार्थी बनाया जाता है. जी हां, आय प्रमाण-पत्र ही एक ऐसा जरिया है. जिससे अपात्र को भी पात्र बनाया जाता है. चौंकाने वाली बात यह है कि आजतक उत्तराखंड में आय प्रमाण-पत्र बनाने की कोई गाइडलाइन ही तैयार नहीं हुई है, जिसका फायदा उठाकर हजारों लोग फर्जी आय प्रमाण-पत्र बनाकर योजनाओं का लाभ लेते हैं.
समाज कल्याण विभाग आय प्रमाण-पत्र के आधार पर ही जरूरतमंदों को पेंशन देता है. इसमें वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन शामिल हैं. इसके अलावा बेटी की शादी के लिए अनुदान भी आय प्रमाण-पत्र के आधार पर मिलता है. छात्रों को छात्रवृत्ति की सुविधा भी परिवार के आय प्रमाण-पत्र के आधार पर मिलती है. शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री शिक्षा भी आय प्रमाण-पत्र के आधार पर दी जाती है. इसके अलावा विभिन्न विभागों में सब्सिडी की योजनाओं के लिए भी आय प्रमाण-पत्र जरूरी होता है. आंगनबाड़ी में नौकरी के लिए भी आय प्रमाण-पत्र अनिवार्य है.
इससे साफ होता है कि आय प्रमाण-पत्र का होना किसी भी लाभार्थी के लिए बेहद जरूरी है. ऐसे में घपले और गड़बड़ियों की शुरुआत भी आय प्रमाण-पत्र के बनाए जाने से ही होती है. बताया जाता है कि उत्तराखंड में करीब 300 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला हो चुका है. उत्तराखंड सरकार इसके जांच के आदेश भी दे चुकी है और कई मामले पकड़े भी गए हैं.