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उत्तराखंडः हर दिन बुझ रहे तीन चिराग, 18 साल में 25 हजार से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत

प्रदेश के 13 जिलों में से 4 जिले ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं. इन जिलों में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या प्रदेश भर में अन्य जिलों से कई गुना ज्यादा है.

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे है सड़क हादसे.

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Published : Apr 18, 2019, 7:27 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह जैसे बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके. लेकिन पुलिस और अन्य संबंधित विभागों के बीच सामंजस्य न होने के चलते सड़क सुरक्षा सप्ताह का कोई असर धरातल पर नहीं दिखाई देता है. जिस वजह से दिन प्रतिदिन सड़क हादसों की संख्या घटने के बजाय बढ़ती जा रही है. हालत यह है कि प्रदेश में हर दिन लगभग तीनों लोगों की मौत सड़क हादसों में हो रही है. यानि हर साल एक हजार से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं, जो प्रदेश में अपराधिक घटनाओं में होने वाली हत्याओं से कई गुना ज्यादा है.

अशोक कुमार

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प्रदेश में बढ़ रहे सड़क दुर्घटनाओं पर सरकार नहीं चिंतित
आपको जानकर हैरानी होगी कि 18 साल के उत्तराखंड में 25 हज़ार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है. बावजूद सरकार, शासन और प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं है. न ही इस तरह की घटनाओं को रोकने की लिए कोई ठोस कदम उठाया गया.

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड समेत देश के सभी राज्यों को बढ़ते सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड सचिव द्वारा कई बार संबंधित विभागों को सामंजस्य बनाकर जमीनी स्तर पर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए है. लेकिन अभी तक मात्र सड़क सुरक्षा सप्ताह कार्यक्रम के अलावा धरातल पर कोई अन्य ठोस कार्य देखने को नहीं मिला है.

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पिछले कुछ सालों में हुए सड़क हादसों के आंकड़े

  • साल 2016 में प्रदेशभर में 1591 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुई थी. इन सड़क दुर्घटनाओं में 932 लोगों की मौत हुई और 1736 लोग घायल हो गए थे.
  • साल 2017 में प्रदेशभर में 1603 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुई थी. इन सड़क दुर्घटनाओं में 942 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. इसके अलावा 1631 लोग घायल हो गए थे.
  • साल 2018 में प्रदेशभर में 1468 सड़क दुर्घटनाएं हुई. जिसमें 1047 लोगों की मौत हुई, जबकि 1571 लोग घायल हुए.
  • इस साल बीते तीन महीनों को बात की जाए तो 336 सड़क हादसे हो चुके हैं. इन सड़क दुर्घटनाओं में 216 लोगों की मौत और 279 लोग घायल हुए है.

प्रदेश के चार जिलों में सबसे ज्यादा सड़क हादसे

प्रदेश के 13 जिलों में से 4 जिले ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं. इन जिलों में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या प्रदेश भर में अन्य जिलों से कई गुना ज्यादा है. इस साल 2019 में बीते 3 महीने की बात करें तो अभी तक उधम सिंह नगर जिले में 103 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. इसके अलावा देहरादून में 77 मामले सामने आ चुके हैं. इस साल के शुरुआती आंकड़ों की पिछले साल के शुरुआती आंकड़ों से तुलना करें तो इसमें कुछ कमी आई है. लेकिन कहीं न कहीं अभी भी सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं.

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देहरादून
देहरादून में साल 2017 में 342 सड़क दुर्घटनाए हुई थी. जिसमें 143 लोगों की मौत और 254 लोग घायल हो गए थे. इसके साथ ही साल 2018 में 317 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी जिसमें 137 लोगों की मौत और 254 लोग घायल हो गए थे. हालांकि अगर इस साल 2019 में बीते तीन महीने की बात करें तो 77 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जिसमें 39 लोगों की मौत और 57 लोग घायल हुए हैं.

हरिद्वार
हरिद्वार में साल 2017 में 333 सड़क दुर्घटनाए हुई थी. जिसमें 194 लोगों की मौत और 256 लोग घायल हो गए थे. इसके साथ ही साल 2018 में 345 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी जिसमें 200 लोगों की मौत और 306 लोग घायल हो गए थे. हालांकि अगर इस साल 2019 में बीते तीन महीने की बात करें तो 65 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जिसमें 39 लोगों की मौत और 44 लोग घायल हुए हैं.

नैनीताल
नैनीताल में साल 2017 में 226 सड़क दुर्घटनाए हुई थी. जिसमें 112 लोगों की मौत और 177 लोग घायल हो गए थे. इसके साथ ही साल 2018 में 199 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी. जिसमें 110 लोगों की मौत और 170 लोग घायल हो गए थे. इस साल 2019 में बीते तीन महीने की बात करें तो 52 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जिसमें 28 लोगों की मौत और 27 लोग घायल हुए हैं.

उधमसिंह नगर
उधमसिंह नगर में साल 2017 में 362 सड़क दुर्घटनाए हुई थी. जिसमें 251 लोगों की मौत और 262 लोग घायल हो गए थे. इसके साथ ही साल 2018 में 356 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी. जिसमें 226 लोगों की मौत और 260 लोग घायल हो गए थे. हालांकि अगर इस साल 2019 के बीते तीन महीने की बात करे तो 103 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जिसमें 68 लोगों की मौत और 77 लोग घायल हुए है.

ट्रैफिक निदेशालय मात्र चालान काटने तक सीमित
ट्रैफिक निदेशालय का काम सिर्फ चालान काटने तक ही सीमित रह गया है. प्रदेश में काटे गए चालान के आंकड़ों पर गौर करें तो साफ जाहिर होता है कि ट्रैफिक निदेशालय सिर्फ चालान काट रहा है. क्योंकि हर साल चालान काटने का आंकड़ा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है.

  • साल 2016 में प्रदेश भर में 8 लाख चालान काटे गए थे, जिससे कुल 11 करोड़ एक लाख का राजस्व वसूला गया था.
  • साल 2017 में प्रदेश भर में 10 लाख 42 हजार चालान काटे गए थे, जिससे कुल 14 करोड़ 29 लाख का राजस्व वसूला गया था.
  • साल 2018 में प्रदेश भर में 16 लाख 14 हज़ार चालान काटे गए थे. जिसमें कुल 23 करोड़ 52 लाख का राजस्व वसूला गया था.
  • साल 2019 में प्रदेश भर में बीते इन तीन महीनों में तकरीबन 5 लाख चालान कटे गए थे. जिससे करीब 7 करोड़ 25 लाख का राजस्व वसूला गया है.

इस बारे में डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार ने बताया कि सड़क हादसों को रोकने के लिए पहले भी समीक्षा की जा चुकी है. समीक्षा में सड़क हादसे के मुख्य कारण, सड़कों की स्थिति, ओवरस्पीडिंग, ड्रिंक एंड ड्राइविंग, ओवरलोडिंग जैसे तमाम कारण सामने आए हैं. जिसकी वजह से लगातार सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. हालांकि पुलिस और प्रशासन कोशिश कर रहे हैं कि इन सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाया जा सके. बावजूद इसके जनता पूरी तरह से नियंत्रित नहीं है. जो दुर्घटनाएं ज्यादा होती है उनकी बड़ी वजह ड्रिंक एंड ड्राइव की हैं.

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