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टेंडर प्रक्रिया ना होने के कारण दम तोड़ती 'खुशियों की सवारी' योजना

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Published : Oct 4, 2019, 3:43 PM IST

जच्चा बच्चा के लिए सरकार ने जनकल्याणकारी योजना खुशियों की सवारी बनाई थी. टेंडर प्रक्रिया ना होने के कारण यह योजना पिछले कई महिनों से ठप पड़ी हुई है.

धूल फांक रही 95 खुशियों की सवारी की एंबुलेंस.

विकासनगर: सरकार जनता के लिए योजनाएं तो कई बनाती है, परंतु असल चुनौती योजनाओं को बनाना नहीं बल्कि इन योजनाओं को धरातल पर लागू करना है. कुछ ऐसा ही हाल हुआ है सरकार द्वारा बनाई गई जनकल्याणकारी योजना 'खुशियों की सवारी' का. टेंडर प्रक्रिया ना होने के कारण यह योजना पिछले कई महीनों से ठप पड़ी हुई है.

धूल फांक रही 95 खुशियों की सवारी की एंबुलेंस.

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बता दें कि जच्चा बच्चा के लिए सरकार ने जनकल्याणकारी योजना 'खुशियों की सवारी' बनाई थी. इस योजना के तहत सरकार ने स्वास्थ्य केंद्रों से जच्चा बच्चा छोड़ने के लिए निशुल्क साधन मुहैया कराया था. सरकारी अस्पतालों में होने वाली डिलीवरी में जच्चा व बच्चा को निशुल्क घर तक छोड़ने के लिए यह योजना उत्तराखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना थी.

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हैरानी की बात यह है कि कई महीने पहले ही इस सेवा संचालन का टेंडर खत्म हो चुका है. वहीं, लगभग 95 खुशियों की सवारी की एंबुलेंस आज भी धूल फांक रही है . यह योजना जच्चा व बच्चा को घर तक निशुल्क छोड़ने के लिए पर्वतीय आंचलो में खूब सराही जा रही था. पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अस्पताल से जच्चा बच्चा को ले जाने में इन दिनों प्राइवेट वाहनों का उपयोग करना मजबूरी बन गई है.

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मामले में पूर्व प्रधान सुभाष भाटी ने बताया कि पिछली सरकार द्वारा संचालित यह योजना वर्तमान सरकार के शासनकाल में ठप पड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस सेवा का संचालन शुरू कर देना चाहिए. वहीं, डीजी हेल्थ, अमिता उप्रेती ने भरोसा दिलाया कि टेंडर प्रक्रिया प्रोसेसिंग में है, शीघ्र ही इस सेवा का संचालन शुरू कर दिया जाएगा.

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