देहरादून: उत्तराखंड में शिक्षा विभाग अब एक नए विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल, यह मामला वित्तीय अनियमितता का है, जिसमें शिक्षकों को चयन वेतनमान नियमों के खिलाफ दिए जाने की बात सामने आई है. ऐसे में अब जिला शिक्षा अधिकारियों को जिलों में ऐसे मामलों की जांच के निर्देश दे दिए गए हैं. उत्तराखंड में अब जिला शिक्षा अधिकारियों को विभाग में हुए वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले की जांच के लिए कहा गया है.
आपको बता दें कि पौड़ी जनपद में चयन वेतनमान का गलत ढंग से लाभ लेने से जुड़ा मामला सामने आया है. जिससे पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच हुआ है. ऐसे में इस मामले में अब निदेशालय स्तर पर जांच के निर्देश दे दिए गए हैं. पौड़ी जनपद से जांच की शुरूआत होगी, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक ऐसे मामलों की जांच करेंगे.
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दरअसल, शिक्षा विभाग में 10 साल से अधिक सेवा वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को चयन वेतनमान का लाभ दिया जाता है जबकि 12 साल से अधिक सेवा वालों को प्रोन्नत वेतनमान से लाभान्वित किया जाता है. लेकिन देखने को मिला है कि पौड़ी जनपद में कुछ शिक्षकों और कर्मचारियों ने 10 साल से कम सेवा होने के बावजूद चयन वेतनमान का लाभ लिया है. इसमें बताया जा रहा है कि तथ्यों को छिपाकर इस तरह के वित्तीय लाभ लिए गए हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए अपर निदेशक बेसिक एसपी खाली ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है और इस मामले को लेकर जांच के आदेश दे दिए गए हैं. पौड़ी जनपद में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक द्वारा इस मामले की जांच की जाएगी और तथ्य सामने आने के साथ-साथ बाकी जिलों में भी इस तरह की जांच करवाई जाएगी.
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यह भी बता दें कि शिक्षा विभाग में प्रमोशन के बाद तबादले से बचने के लिए भी कई शिक्षक और कर्मचारी प्रमोशन छोड़ने तक के लिए तैयार रहते हैं. ऐसे कर्मचारियों को इस वित्तीय लाभ को नहीं दिया जाता है. उधर, इस मामले में नियम विरुद्ध वित्तीय लाभ लेने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को फौरन लाभ नहीं देने के आदेश हुए हैं.