देहरादूनः उत्तराखंड में निकाय चुनाव की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. हाल ही में नैनीताल हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को निर्देश दिए थे कि अगले 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव संपन्न कराए जाए. लेकिन प्रदेश में अगले 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव कराए जाने की संभावनाएं बेहद कम नजर आ रही है. इसका कारण एक तरफ लोकसभा चुनाव है तो दूसरी तरफ निकाय चुनाव के लिए तमाम आरक्षण की प्रक्रिया जो अभी तक पूरी नहीं हुई है. ऐसे में साफ है कि आने वाले समय में अधिकारी लोकसभा चुनाव में व्यस्त रहेंगे और निकाय चुनाव संबंधित आरक्षण के कामों को नहीं कर पाएंगे. इन्हीं कारणों पर संभावना जताई जा रही है कि अगले 6 महीने के भीतर निकाय चुनाव होने की संभावना बेहद कम है.
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है. सभी राजनीतिक पार्टियां लोकसभा की पांचों सीटों को जीतने के लिए जी-तोड़ मेहनत करने की कवायद में जुट गए है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के बीच निकाय चुनाव का मुद्दा कहीं खो गया है. क्योंकि, सरकार फिलहाल निकाय चुनाव पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. हालांकि, हाईकोर्ट 9 जनवरी को निकाय चुनाव न कराने को लेकर शहरी विकास सचिव से जवाब तलब कर चुका है. जिस पर शहरी विकास सचिव ने अगले 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का बात कही है. भले ही सरकार ने 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का आश्वासन दिया है, लेकिन इस दौरान चुनाव होने की उम्मीद बेहद कम है.
6 महीने के भीतर चुनाव कराना बड़ी चुनौती: उत्तराखंड में नगर निकायों का कार्यकाल 2 दिसंबर 2023 को समाप्त हो गया था. इसके बाद निकायों में प्रशासक बिठा दिए गए हैं. जबकि निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से पहले निकाय चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए था. लेकिन पिछले निकाय चुनाव की तरह इस बार भी निकाय चुनाव आगे खिसक गया है और अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि कब तक निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं. जबकि शहरी विकास सचिव ने अगले 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का आश्वासन दिया है. ऐसे में अगले 6 महीने के भीतर चुनाव संपन्न कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. क्योंकि अगले डेढ़ से दो महीने में ही लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. जिसके चलते सरकारी अमला चुनाव में व्यस्त हो जाएगा.
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