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डेंगू का प्रकोप: देहरादून में आंकड़ा पहुंचा 56, हरिद्वार में एक की मौत, हुई फॉगिंग

देहरादून में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिले में डेंगू मरीजों का आंकड़ा 56 पहुंच चुका है. वहीं, हरिद्वार में डेंगू के 2 मामले सामने आए थे, जिसमें से एक की मौत हो गई है. जबकि, दूसरे मरीज को हायर सेंटर रेफर किया गया है.

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Published : Oct 12, 2021, 8:22 PM IST

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उत्तराखंड में डेंगू का प्रकोप

देहरादून: उत्तराखंड में जहां कोरोना का ग्राफ हर दिन गिरता जा रहा है. वहीं, प्रदेश में डेंगू ने दस्तक दे दी है. हर दिन डेंगू मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. देहरादून में आज डेंगू के तीन नए मामले सामने आए हैं. जबकि हरिद्वार में डेंगू से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है. डेंगू का प्रकोप देखते हुए देहरादू प्रशासन और नगर निगम की टीमों ने जिले में फॉगिंग अभियान चलाया है.

देहरादून में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सोमवार (11 अक्टूबर) को चार मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई थी. वहीं आज तीन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है. जिसके बाद राजधानी में डेंगू संक्रमितों का आंकड़ा 56 पहुंच गया है. इसके अलावा हरिद्वार में भी डेंगू के मामले आने शुरू हो गए हैं. यहां डेंगू के 2 मामले सामने आए थे, जिसमें से एक की मौत हो गई है. जबकि, दूसरे मरीज को हायर सेंटर रेफर किया गया है. शहर में इस सीजन में डेंगू से यह पहली मौत है.

हरिद्वार के डॉक्टर राजेश गुप्ता ने बताया कि 13 साल के बच्चा ऋषिकुल कॉलोनी से आया था. जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई है. जबकि, दूसरा के 12 साल का बच्चा मिश्रपुर गांव से आया था, जिसको इलाज के लिए हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया है.

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डेंगू क्या है:डेंगू (Dengue) एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है. डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं. डेंगू बुखार (Dengue Fever) को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं. एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है. यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार (Flaviviridae family) के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है.

हालांकि, ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं. जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) होने का खतरा बढ़ जाता है. इसमें भारी रक्तस्राव (Heavy Bleeding), ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक ​​कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. डीएचएफ को डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue shock syndrome) भी कहा जाता है.

अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है. डेंगू का कोई विशिष्ट या खास उपचार उपलब्ध नहीं है. सिर्फ इसके लक्षणों को पहचानकर ही आप इस पर काबू पा सकते हैं.

इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें

  • उल्टी आना.
  • तेज बुखार आना.
  • कमजोरी महसूस होना.
  • पेट की खराबी या पेट में दिक्कतें पैदा होना.
  • सिरदर्द होना.
  • मांसपेशियों में दर्द होना.
  • हड्डी या जोड़ों में दर्द होना.
  • आंखों के पीछे वाले हिस्से में दर्द होना.
  • त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते या लाल रंग के दाने होना.
  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें, तो डेंगू के शुरुआती लक्षण फ्लू की तरह होती है और इसी के कारण लोग डेंगू के लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं.

इतने दिनों बाद दिखने लगते हैं लक्षण

आमतौर पर संक्रमित मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसके 4-10 दिनों के बाद उसमें डेंगू के लक्षण दिखने लगते हैं. इसके बाद तेज बुखार आने के साथ ही डेंगू के अन्य लक्षण भी नजर आने लगते हैं और ये तेजी से बढ़ने भी लगते हैं.

डेंगू से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

  • पूरे बाजू के कपड़े पहनें.
  • मच्छर मारने वाली दवा का उपयोग करें.
  • घर से या किचन से निकलने वाले कचरे को ज्यादा जमा न होने दें.
  • सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.
  • घर की छत, कूलर, गमलों, टायर या अन्य जगहों पर पानी जमा न होने दें. ध्यान रहे कि डेंगू का मच्छर साफ पानी में ही पनपता है.

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