देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव नजदीक है. सभी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं. जहां एक ओर बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं का राज्य दौरा जारी है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस हाईकमान फिलहाल उत्तराखंड में चुनाव को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है. वहीं प्रदेश में आचार संहिता लगने के बाद ही पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के उत्तराखंड दौरे लगने की बात कही जा रही है.
उत्तराखंड में चुनाव के लिए अब बेहद कम समय रह गया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी से लेकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय नेता उत्तराखंड में दौरे कर चुनावी समीकरणों को साधने की जुगत में लग गए हैं. राष्ट्रीय नेतृत्व की गंभीरता को लेकर सवाल कांग्रेस पर उठ रहे हैं, क्योंकि प्रदेश में दो बार सत्ता पा चुकी कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता अब तक उत्तराखंड से दूरी बनाए हुए हैं. राज्य में न तो राहुल गांधी का कोई दौरा लगा है और न ही सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने चुनावी दौरों को लेकर कोई तवज्जों दी है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी इस मामले पर भी कांग्रेस हाईकमान पर जुबानी वार करने से पीछे नहीं हट रही है
चुनाव को लेकर राष्ट्रीय नेताओं के उत्तराखंड दौरे. बीजेपी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान का उत्तराखंड पर कोई ध्यान ही नहीं है और न ही वह उत्तराखंड को गंभीरता से लेते हैं. यही नहीं उत्तराखंड कांग्रेस भी जानती है कि अगर राहुल गांधी उत्तराखंड आए तो पिछली बार दहाई पर सिमटी कांग्रेस के इस बार इकाई पर सिमट जाएगी. लिहाजा उत्तराखंड कांग्रेस भी राहुल गांधी को उत्तराखंड नहीं बुलाना चाहती है. विरोधियों के राष्ट्रीय नेतृत्व पर हमलावर रुख को देखते हुए उत्तराखंड कांग्रेस भी खुद को असहज महसूस कर रही है.
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कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच दौरे लगाए जाएंगे. क्योंकि कांग्रेस हाईकमान को उत्तराखंड के नेताओं पर विश्वास है. लिहाजा उत्तराखंड में हरीश रावत जैसे नेताओं की मौजूदगी में पार्टी चुनावी तैयारियों को करने में जुटी हुई है. जहां तक भाजपा का सवाल है तो भाजपा के हाईकमान को स्थानीय भाजपा नेताओं पर विश्वास नहीं है. इसलिए वे खुद आकर चुनावी दौरा कर जनता को लुभाने का काम कर रहे हैं.