देहरादून: आगामी 2022 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में नेतृत्व के मुद्दे को लेकर घेराबंदी बढ़ गई है. इसको लेकर प्रीतम सिंह कैंप और पूर्व सीएम हरीश रावत कैंप के बीच बयानबाजी का दौर चल रहा है. हाल ही में हल्द्वानी में हरदा समर्थकों ने आगामी विधानसभा चुनाव हरीश रावत के नेतृत्व में लड़ने का आह्वान किया था. इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव के नेतृत्व को लेकर चर्चाओं के दौर शुरू हो गया है.
उप नेता प्रतिपक्ष करण महरा ने ऐसे कांग्रेसी नेताओं को चेताया है जो सोशल मीडिया में नेतृत्व को लेकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. करण महरा का कहना है कि इन लोगों ने ही 2016 से पहले सोशल मीडिया में अनर्गल कमेंट किए थे, जिसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को 2017 में हार का सामना करना पड़ा. यह लोग आज फिर से सक्रिय हो गए हैं. वो इन लोगों की शिकायत कांग्रेस प्रदेश प्रभारी, प्रीतम सिंह और हरीश रावत से भी करने जा रहे हैं कि ऐसे लोगों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि यह लोग जिन नेताओं से जुड़े हुए हैं उनके मुंह बंद करने की जिम्मेदारी उन्हीं नेताओं की होनी चाहिए. ताकि पार्टी और कार्यकर्ताओं का नुकसान ना हो. 2022 के विधानसभा चुनाव में नेतृत्व के मुद्दे पर करण महरा ने स्पष्ट किया कि जिसके नेतृत्व में हाईकमान कहेगा, उसी के नेतृत्व में चुनाव लड़े जाएंगे. यह सभी की सामूहिक जिम्मेदारी होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड के भीतर पूर्व सीएम हरीश रावत के कद के बराबर ना तो कोई बीजेपी में नेता है और ना ही कांग्रेस पार्टी में. जबकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह चकराता विधानसभा सीट से 5 बार के विधायक हैं, ऐसे में दोनों नेताओं का अपना महत्व है.
करण महरा ने कहा कि कुछ लोग प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बयानों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. दोनों नेताओं ने एक दूसरे पर कोई कटाक्ष अभी तक नहीं किया, लेकिन कांग्रेस के कुछ छुटभैया नेता जिन्होंने कभी पार्षद का चुनाव तक नहीं लड़ा और जिनका कोई जनाधार नहीं है, ऐसे नेता सोशल मीडिया में अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. जिससे यह संदेश जा रहा है कि कांग्रेस में कुछ ठीक नहीं चल रहा है.