देहरादूनः अक्सर विवादों में रहने वाले खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का एक ऑडियो इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. जिसमें वो लक्सर के महाविद्यालय में धरने पर बैठे ABVP कार्यकर्ताओं की मांग पूरी होने पर उसका श्रेय खुद लेने के लिए एबीवीपी के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य को धमकाते हुए सुनाई दे रहे हैं. इस पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चैंपियन को आड़े हाथों लेते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है.
चैंपियन को लेकर BJP पर हमलावर हुआ विपक्ष. कांग्रेसी नेता गरिमा मेहरा दसौनी ने कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के बहाने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी लगातार चैंपियन को माफी देने में लगी हुई है. बीजेपी ने कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को 6 साल के लिए निष्कासित किया था, लेकिन मात्र 2 साल के भीतर ही फिर से आलिंगनबद्ध कर लिया. उस दौरान भी प्रदेशभर में तीखा विरोध हुआ था कि उत्तराखंड पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले चैंपियन को बीजेपी दोबारा अपने दल में शामिल कर रही है.
उन्होंने कहा कि पार्टी में दोबारा शामिल हुए तीन महीने भी नहीं बीते हैं कि कुंवर चैंपियन ने अपने ही दल के युवाओं से अभद्रता कर दी है. यह इस बात की बानगी है कि कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन किस फितरत के व्यक्ति हैं और उत्तराखंड पर कितने बड़े बोझ हैं.
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उधर, आम आदमी पार्टी ने भी चैंपियन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन कभी सुधरने वाले नहीं हैं. आप के प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र आनंद और उमा सिसोदिया ने निशाना साधते हुए कहा कि उत्तराखंड को अपमानित करने के मामले में पार्टी से निष्कासित करने के बावजूद बीजेपी ने उन्हें महज 13 महीने में वापस बुला लिया है, जो बीजेपी की साख पर सवाल खडे़ कर रहा है.
चैंपियन का जनता के प्रति सम्मान और हनक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लक्सर महाविद्यालय में एमए की कक्षाओं को शुरू करने को लेकर खुद श्रेय लेने की होड़ में उन्होंने एबीवीपी कार्यकर्ताओं को फोन पर धमकी दे डाली. ऐसे में तमाम विवादों में घिरे रहने वाले कुंवर चैंपियन को तत्काल बीजेपी से निष्कासित कर देना चाहिए.
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चैंपियन का विवादों से पुराना नाता
चैंपियन हमेशा विवादित बयानों और अलग-अलग कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. चैंपियन के बयानों और कारनामों की वजह से कई बार पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. हालांकि, बीजेपी ने कई बार चैंपियन को हिदायत भी दी, लेकिन जब वो नहीं माने तो बाद में उन्हें पार्टी से अनुशासनहीनता के आरोप में निष्कासित कर दिया गया.
चैंपियन साल 2016 में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के खिलाफ बागवत कर नौ विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर हरिद्वार जिले की खानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे और जीत कर आए थे.
इससे पहले चैंपियन का तमंचों और शराब के साथ फिल्मी गाने पर ठुमकों का वीडियो भी वायरल हुआ था. इतना ही नहीं मामला तब पेचीदा हो गया, जब एक निजी चैनल के पत्रकार के साथ बदसलूकी कर दी. जिस पर सूबे की त्रिवेंद्र सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी. जिसके बाद संगठन ने कार्रवाई अमल में लाते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया.
जबकि, बीते साल 9 जुलाई 2019 को उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था. इस वीडियो में वो राज्य के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी भी कर रहे थे. जिसके बाद बीजेपी ने 22 जून को अनुशासनहीनता के आरोप में चैंपियन की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तीन माह के लिए निलंबित कर दी थी. इन्हीं सब घटनाओं के बाद पार्टी पर चैंपियन को निष्कासित करने का प्रेशर था. इसके बाद पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था. वहीं, चैंपियन को बीजेपी ने बाहर का रास्ता तो दिखाया, लेकिन 13 महीनों के भीतर ही वापस पार्टी में ले लिया गया है.