देहरादूनःउत्तराखंड में मूल निवास प्रमाण पत्र के मानकों को लेकर तमाम संगठन के लोग राजधानी देहरादून से 24 दिसंबर को रैली करने जा रहे हैं. उससे पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून समिति की अनुशंसा के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति को इस बाबत भी निर्देश दे दिए हैं कि यह समिति मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में मानकों का निर्धारण करने के लिए भी अपनी संस्तुति शासन को उपलब्ध कराएगी. दरअसल, 22 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था.
मुख्य रूप से इस उच्च स्तरीय समिति का गठन, पहले गठित की गई भू कानून समिति की अनुशंसा पर कार्रवाई करने के लिए किया गया था. लेकिन 23 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह निर्देश दिए हैं कि भू कानून के साथ ही अब यह उच्च स्तरीय समिति मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में मानकों का निर्धारण पर अपनी संस्तुति शासन को सौंपेगी. दरअसल, तमाम सामाजिक संगठनों ने मूल निवास प्रमाण पत्र को लेकर राज्यव्यापी रैली का आह्वान किया है जिसकी सूचना सोशल मीडिया के माध्यम से पिछले कई दिनों से फैल रही है. उससे पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बाबत निर्णय ले लिया है.
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सीएम धामी ने कहा कि उनके लिए राज्य हित सर्वोपरि है. प्रदेश के लोगों ने उत्तराखंड राज्य का सपना देखा था, उसको पूरा करने के लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं. प्रदेशवासियों का राज्यहित से जुड़ा भू-कानून या फिर मूल निवास प्रमाण पत्र के विषय के साथ राज्य सरकार खड़ी है. इसी के मद्देनजर वृहद स्तर पर विचार विमर्श कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है. इस समिति में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. जो भू कानून को लागू करने के प्रारूप और मूल निवास प्रमाण पत्र जारी किए जाने के लिए मानकों का निर्धारण करेगी.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पूर्व में गठित की गई समिति ने राज्य के हितबद्ध पक्षकारों, तमाम संगठनों और संस्थाओं के सुझाव लिए थे. जिस पर गहन मंथन और विचार विमर्श करने के बाद करीब 80 पेज की रिपोर्ट तैयार की थी. इसके साथ ही समिति ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारी से प्रदेश में अब तक दी गई भूमि क्रय की स्वीकृतियों का विवरण लेकर परीक्षण भी किया था. लिहाजा समिति ने जो संस्तुति दी थी उसमें उन तमाम बिंदुओं को शामिल किया गया है, जिससे राज्य में विकास के लिए निवेश बढ़े ताकि रोजगार के अवसर भी बढ़े. हालांकि भूमि का अनावश्यक दुरुपयोग को रोकने के लिए भी समिति ने अनुशंसा की है.
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