मसूरी:पहाड़ों की रानी मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव का समापन हो गया है. कॉन्क्लेव में 11 हिमालयी राज्यों में से 10 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए. कॉन्क्लेव में हिमालयी राज्यों के विकास के लिए जल संरक्षण, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की गई. वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस देने की मांग की.
हिमालयन कॉन्क्लेव का हुआ समापन हिमालयन कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बताया कि सभी हिमालय राज्यों को पर्यावरणीय सेवा के लिए ग्रीन बोनस मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिमालय राज्य देश के जल स्तंभ हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल शक्ति संचय विषय में प्रभावी योगदान दे रहे हैं. साथ ही हिमालयी राज्यों के लिए बजट में अलग से प्रावधान करने की भी मांग की.
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हिमालयी प्रदेशों में नए पर्यटक स्थलों को विकसित करने के लिए केंद्र से सहयोग मांगा गया. देश की सुरक्षा को देखते हुए पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता देने और हिमालय राज्यों के लिए अलग मंत्रालय गठित किए जाने की भी मांग की है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि हिमालयी कॉन्क्लेव में तय किया गया कि हिमालय कॉन्क्लेव को हर साल आयोजित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नीति आयोग, 15वें वित्त आयोग और वित्त मंत्रालय द्वारा हिमालय राज्यों की आवश्यकताओं को लेकर वित्त मंत्रालय द्वारा आश्वासन दिया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कहा गया है कि अगामी बजट में इन सभी विषयों का ध्यान रखा जायेगा.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि हिमालयी राज्यों द्वारा पर्यावरण के संरक्षण के लिए लगातार काम किया जा रहा है. जिसका लाभ पूरे देश को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा, पर्यावरणीय सुरक्षा और प्रधानमंत्री द्वारा संचालित जल संचय मिशन में हिमालयी राज्य का महत्वपूर्ण योगदान है. ऐसे में हिमालय राज्यों को ग्रीम बोनस मिलना जरूरी है, जिसकी हिमालयी राज्य लगातार मांग कर रहे हैं.