देहरादून: उत्तर प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है. वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान के बाद जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर शासन-प्रशासन भी उत्तर प्रदेश के जनसंख्या कानून के ड्राफ्ट को खंगालने में जुट गया है.
हाल ही में उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर की गई कार्रवाई के बाद अब उत्तराखंड में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून पर सवाल पूछे जा रहे हैं. वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता अजेय अजेंद्र ने पिछले कई दिनों से उत्तराखंड के क्षेत्र विशेष इलाकों में धर्म विशेष के लोगों की संख्या बढ़ने को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. जिसके बाद अब मुख्यमंत्री भी इस मामले में संवेदनशील नजर आ रहे हैं.
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मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बातचीत में कहा उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नियंत्रण कानून का ड्राफ्ट पर उत्तराखंड सरकार की भी नजर बनी हुई है. वहीं, आज एक बार फिर से सीएम धामी ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड की जनसंख्या नियंत्रण कानून पर विचार चल रहा है. उत्तर प्रदेश के जनसंख्या नियंत्रण कानून के ड्राफ्ट को अध्ययन के लिए मंगाया गया है.
कुछ इलाकों में बढ़ी धर्म विशेष की संख्या: मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा प्रदेश में जहां भी जनसंख्या का घनत्व अचानक से बढ़ा है, उसके कारण से वहां पर सामाजिक सौहार्द में कमी आई है और अपराधिक घटनाएं बढ़ी है. पिछले कई सालों से देखने को मिल रहा है कि कुछ लोग पलायन करके उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में गए हैं और वहीं पर बस गए हैं.
हालांकि अब तक उनका कोई मूल मालूम नहीं है. इस तरह के लोगों को चिन्हित करने और उनके बारे में जानकारी लेने के लिए सरकार द्वारा पुलिस विभाग और जिलों को भी निर्देशित किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा यह प्रक्रिया किसी को टारगेट करते हुए नहीं पूरी की जा रही है.
धर्म विशेष की संख्या बढ़ने की बात पुख्ता नहीं:वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली ने कहा सरकार उत्तर प्रदेश के जनसंख्या नियंत्रण कानून के ड्राफ्ट का अध्ययन करने की बात कह रही है, लेकिन अभी इसे ड्राफ्ट का अध्ययन करने की जरूरत सभी को है. इस ड्राफ्ट में क्या कुछ लिखा गया है और क्या प्रावधान है, यह देखना जरूरी है. हालांकि नीरज ने उत्तराखंड में विशेष क्षेत्र में धर्म विशेष के लोगों का घनत्व बढ़ने की बात को सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा अगर ऐसा कोई मामला होता तो वह सामने आता.
नीरज कोहली ने कहा सरकार ने पलायन पर गहन अध्ययन के लिए पलायन आयोग का गठन किया, लेकिन अब तक पलायन आयोग की किसी भी रिपोर्ट में इस तरह के मामले का खुलासा नहीं हुआ है. अब तक किसी भी माध्यम से इस तरह की कोई केस स्टडी अब तक सामने नहीं आई है और ना ही कोई आंकड़े सामने आए हैं. हालांकि इसका आगामी चुनाव पर क्या कुछ असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी. सरकार का इतनी जल्दबाजी में कोई नया कानून प्रदेश में लाना बेहद मुश्किल भरा है.