देहरादून: लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है. उत्तराखंड में भी विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर कई कार्यक्रमों को आयोजन किया गया है. उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी लोगों से अपील की है कि वो सिंगल यूज प्लास्टिक का पूर्ण रूप से त्याग करें.
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड ऐसा राज्य है जो अपने पर्यावरण का अत्यधिक ख्याल रखता है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव उपाय करते हैं कि प्लास्टिक का उपयोग न हो और हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखने की कोशिश करते हैं.
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड पूरे देश और दुनिया को शुद्ध पर्यावरण और स्वच्छ पानी देने का काम करता है. उत्तराखंड की 70 प्रतिशत जमीन पर आज जंगल है. उत्तराखंड के लोग अधिक से अधिक सचेत रहकर पर्यावरण को बचाने के लिए आगे आ रहे है.
उत्तराखंड में पर्यावरण को बचाया जा सके, इसके लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से रोक लगाई जा रही है. वहीं, राज्य में अधिक से अधिक पौधा रोपण किया जा रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता के अपील है कि वो विश्व पर्यावरण दिवस पर संकल्प ले कि वर्षों से जो प्राकृतिक जल स्त्रोत हमें पानी दे रहे है, लेकिन आज वे सूखने की कगार पर पहुंच गए है, वो दोबार से रिचार्ज हो सके. इस दिशा में काम करें. पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए जो भी हो सकता है, उस दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए. पर्यावरण का सरंक्षण प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए.
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साल 2023 में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम: बता दें कि हर साल विश्व पर्यावरण दिवस नई थीम के साथ मनाया जाता है. इस साल 2023 में World Environment Day की थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान (solutions to plastic pollution) पर आधारित हैं.
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास: साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था. इसको लेकर स्टॉकहोम (स्वीडन) में पहला सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें पर्यावरण से होने वाले प्रदूषण पर चर्चा की गई है, जिसमें 119 देशों ने हिस्सा लिया था. उसके दो साल बाद से ही हर साल 5 जून 1974 से World Environment Day मानने की शुरुआत हुई. तभी हर साल विश्व पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम अलग-अलग देशों में होने लगे, जिसमें हर साल 143 देश भाग लेते है. भारत में 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ था था.