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Published : May 8, 2023, 8:11 PM IST

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मसूरी में क्षमता निर्माण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

मसूरी में क्षमता निर्माण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन मंत्र के अनुरूप है जो विकास रणनीति में सबसे आगे नागरिक पहले को रखकर जन हितैषी है. कार्यक्रम का उद्देश्य सूचना, ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, नए विचारों को साझा करना और संवेदनशीलता, जवाबदेही बढ़ाने और भाग लेने वाले देशों के सिविल सेवकों में दक्षता लाना है

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मसूरी में क्षमता निर्माण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

मसूरी: नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (एनसीजीजी) के तहत मसूरी में मालदीव और बांग्लादेश के सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसका शुभारंभ राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक भरत लाल ने किया. मालदीव के 50 सिविल सेवक और बांग्लादेश के 45 सिविल सेवक कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे हैं. यह 6 मई, 2023 को बांग्लादेश के सिविल सेवकों के लिए 58वें क्षमता निर्माण कार्यक्रम के सफल समापन के बाद प्रारंभ हुआ.

नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (एनसीजीजी), प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रतिपादित वसुधैव कुटुम्बकम दर्शन के अनुरूप भारत और पड़ोसी देशों में सिविल सेवकों के बीच सहयोग और सीखने को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है. सिविल सेवकों के लिए एनसीजीजी की क्षमता निर्माण पहल का उद्देश्य सुशासन को बढ़ावा देना, सेवा वितरण में वृद्धि करना और अंतिम व्यक्ति तक पहुंचकर नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है. यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम नीतियों और कार्यान्वयन के बीच अंतराल को भरने के लिए समर्पित प्रयास करने में सिविल सेवकों की मदद करेगा. यह प्रौद्योगिकी का उपयोग करके गति और पैमाने के साथ लोगों को मजबूत और निर्बाध सेवाएं प्रदान करने के लिए उन्हें कौशल से लैस करने के लिए वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया है.

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क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन मंत्र के अनुरूप है जो विकास रणनीति में सबसे आगे नागरिक पहले को रखकर जन हितैषी है. कार्यक्रम का उद्देश्य सूचना, ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, नए विचारों को साझा करना और संवेदनशीलता, जवाबदेही बढ़ाने और भाग लेने वाले देशों के सिविल सेवकों में दक्षता लाना है. राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक भरत लाल ने कहा कैसे यह एशिया की सदी है, जिसमें भारत, बांग्लादेश और मालदीव जैसे दक्षिण एशियाई देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. साथ ही लोकतांत्रिक देश होने के नाते, यह आवश्यक है कि सिविल सेवक अधिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके गति और पैमाने के साथ काम करके नागरिकों को सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम करें, ताकि सुशासन प्राप्त किया जा सके.

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उन्होंने सिविल सेवकों से अनुरोध किया कि वे आवास कार्यक्रम, स्वच्छ भारत मिशन, स्वास्थ्य सुविधाओं और रसोई गैस-उज्ज्वला कार्यक्रम जैसे भारत में लागू की जा रही पहलों पर कार्यक्रम में चर्चा की गई केस स्टडीज को सर्वाेत्तम बनाएं, जो देश को दुनिया के सबसे तेज गति वाले कार्यक्रम में बदल रहे हैं. उन्होंने कहा सिविल सेवकों का काम सक्षम होना है. आधुनिक तकनीक का उपयोग करके नागरिकों को समयबद्ध प्रभावी तरीके से सुविधाएं प्रदान करते हुए कानून और व्यवस्था बनाए रखते हुए अपनी क्षमता का एहसास करना है. उन्होंने ऑनलाइन टिकटिंग सिस्टम, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के भुगतान और पासपोर्ट के उदाहरणों का हवाला दिया, जो गेम चेंजर रहे हैं. उन्होंने आधार द्वारा सक्षम किए गए टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता की ओर इशारा किया. कम समय में लाखों खुराक दी गई. उन्होंने लोगों की शिकायतों को समयबद्ध तरीके से दूर करने का आग्रह किया. नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (एनसीजीजी), ने 2024 तक 1,000 मालदीव सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण और बांग्लादेश सरकार के साथ 1800 सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए मालदीव सिविल सेवा आयोग के साथ एक समझौता ज्ञापन में प्रवेश किया

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