देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ग्रेड पे मामले पर आखिरकार मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने अपना फाइनल निर्णय ले लिया है. इस मामले पर अब जल्द ही उप समिति रिपोर्ट तैयार करेगी और कैबिनेट में रखेगी. प्रदेश में पुलिसकर्मियों की 4600 ग्रेड पे की मांग को लेकर मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने आज 16 अगस्त को अपनी तीसरी बैठक की. बैठक में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में तमाम अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे पर चर्चा की. इस दौरान मंत्रिमंडल ने सभी पहलुओं को देखते हुए अपना अंतिम निर्णय ले लिया.
बता दें कि उपसमिति की यह तीसरी बैठक थी, इससे पहले दो बैठकें हो चुकी हैं. अब तीसरी बैठक में आखिरकार पुलिसकर्मियों की मांग पर आखिरी फैसला लिया गया. खास बात यह है कि अगली कैबिनेट तक पुलिसकर्मियों के इस मामले को मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा.
ईटीवी भारत के सूत्र बताते हैं कि इस बैठक में पुलिसकर्मियों के 4,600 ग्रेड पे को लेकर बात नहीं बन पाई है और तमाम दिक्कतें और ग्रेड पे के चलते पुलिस कर्मियों को 4,600 ग्रेड पे मिलना मुश्किल दिख रहा है. जानकारी के अनुसार एक तरफ सरकार को बाकी विभागों से भी बढ़े हुए ग्रेड पे की मांग उठने की आशंका नजर आ रही है. दूसरी तरफ वित्त के लिहाज से भी सरकार पर बड़ा बोझ पड़ने के कारण इस मांग का पूरा होना मुश्किल दिख रहा है. बहरहाल, रिपोर्ट अभी कैबिनेट में रखी जानी है, उसके बाद कैबिनेट को ही अंतिम निर्णय लेना है.
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यहां से शुरू हुआ विवाद: उत्तराखंड पुलिस में सिपाहियों को 4,600 ग्रेड पे के विवाद का बीज सात साल पहले ही पड़ा गया था. विवाद ग्रेड पे दिए जाने की समय सीमा में बदलाव को लेकर हुआ. पहले 8,12 और 22 साल का प्रावधान था. लेकिन जैसे ही सिपाहियों के पहले बैच को 12 साल होने को आए इसे बदल दिया गया.
यही नहीं, इसके बाद इसमें बदलाव किया गया और जब फिर से नंबर आया तो 2,800 ग्रेड पे दिए जाने की बात शुरू हो गई. विवाद इतना बढ़ा कि बात विरोध प्रदर्शन तक पहुंच गई.
2001 में हुई थी पहली भर्ती: उत्तराखंड गठन के बाद राज्य में पहली बार साल 2001 में सिपाहियों की भर्ती हुई थी. उस समय पदोन्नति के लिए तय सीमा 8,12 और 22 साल थी. उत्तराखंड पुलिस में भर्ती के समय सिपाहियों का ग्रेड पे 2,000 होता है. इसके 8 साल बाद उन्हें 2,400, 12 साल बाद 4,600 और 22 साल की सेवा के बाद 4,800 दिए जाने का प्रावधान था. अब 2013 में पहले बैच के सिपाहियों को 4,600 रुपए के ग्रेड पे का लाभ मिलना था. लेकिन उससे पहले ही सरकार ने समय-सीमा में बदलाव कर दिया.
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सरकार ने समय सीमा में किया बदलाव: 2013 में तत्कालीन सरकार ने ग्रेड पे को लेकर नई नीति बनाई थी. इसके तहत अब यह लाभ उन्हें 10,16 और 26 साल के आधार पर मिल रहा है. ऐसे में पहले बैच के सिपाहियों को 2017 में 4,600 ग्रेड पे का लाभ मिलना था, लेकिन उससे पहले ही समय-सीमा का स्लैब बढ़ाकर 10, 20 और 30 कर दिया गया.
ग्रेड पे घटाने का विरोध:इस हिसाब से साल 2001 बैच के सिपाहियों को 4,600 ग्रेड पे का लाभ दिया जाना था, लेकिन पिछले दिनों शासन ने ग्रेड पे को ही घटा दिया. ऐेसे में सिपाहियों का कहना है कि जब-जब उनका नंबर आया तब नियम बदलकर उनके साथ धोखा किया गया.
सिपाहियों को होगा भारी नुकसान: पहले बैच के सभी सिपाहियों की 20 साल की सेवा पूरी हो चुकी है. हालांकि उन्हें पहले ग्रेड पे 2,400 का लाभ तो 11 साल पहले ही मिल गया था. लेकिन जैसे ही उनके 20 साल पूरे हुए तो अब उन्हें 4,600 की जगह 3,800 ग्रेड पे के हिसाब से वेतन मिल रहा है. इस तरह यदि उन्हें 2,800 ग्रेड पे दिया जाता है तो उन्हें वेतन में भारी नुकसान होगा.
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