देहरादून: राजपुर स्थित बौद्ध मठ व शाक्य स्कूल के शिक्षक नुमांग लेखपा खुदकुशी कर ली है. घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेते हुए पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है. पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसकी जांच की जा रही है. पुलिस के मुताबिक स्कूल के कमरे में आत्महत्या करने वाला शिक्षक नेपाल मूल का है और शुक्रवार को नेपाल बॉर्डर से वो तीन बच्चों को लेकर वापस मठ आया था.
सीओ विवेक कुमार के मुताबिक, नुमांग लेखपा ने पंखे से लटकर सुसाइड कर लिया है. सुसाइड नोट में मृतक ने मठ का शिक्षक होने और बदनामी का जिक्र करते हुए मौत को गले लगाने की बात कही है. पुलिस के मुताबिक, मृतक ने आत्महत्या से पहले अपने मोबाइल में ऑडियो भी रिकॉर्ड किया था और उसमें स्कूल में चल रहे विवाद को अपनी मौत का कारण बताया था. पुलिस सभी तरह के तथ्यों और सबूतों को एकत्र कर जांच पड़ताल में जुटी है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में शाक्य स्कूल के सेक्रेटरी सोनम ने बताया कि बच्चों के साथ किसी तरह की मारपीट या धर्म परिवर्तन की घटनाएं नहीं हुई. सोनम के मुताबिक स्कूल को बदनाम करने के लिए सारी साजिश रची गई है.
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क्या है मामला
गौर हो कि दून के इस बौद्ध मठ में रह रहे कई छात्र बीते चार सालों से अपने घर नहीं जा सके हैं. आरोप है कि जब छात्रों ने मठ प्रबंधन से घर जाने की छुट्टी मांगी तो उनके साथ मारपीट की गई, जिसके बाद 7 नेपाली मूल के बच्चे मठ से फरार हो गए थे. छात्र किसी तरह बनबसा तक पहुंच गए थे. हालांकि, इन 7 छात्रों में से दो छात्र नेपाल सीमा में प्रवेश करने में सफल रहे लेकिन बाकी बचे 5 फरार छात्रों को बनबसा पुलिस ने रेस्क्यू करते हुए वापस मठ पहुंचाया था.
वहीं, मामला सामने आने के बाद छात्रों के परिजनों ने नेपाल मानवाधिकार आयोग के पास मदद की गुहार लगाई थी. उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इसका संज्ञान लिया था. बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी बौद्ध मठ पहुंची थीं और बच्चों का हालचाल जाना. 47 छात्रों ने उन्हें नेपाल वापस भेजने के लिए आग्रह किया था.
राजपुर रोड स्थित शाक्य एकेडमी में कक्षा एक से आठवीं तक की शिक्षा दी जाती है. वर्तमान में यहां 213 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. ये बच्चे नेपाल, अरुणाचल, तिब्बत और हिमाचल के साथ ही उत्तराखंड के हैं. वर्ष 2016 में शुरू हुए संस्थान में बौद्ध धर्म और तिब्बती संस्कृति के साथ ही आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है और बच्चों को निशुल्क पढ़ाया जाता है.